ललित बाबू के परिवार ने लगाया हत्या के मुख्य अभियुक्त सहित कुछ लोगों को बचाने का आरोप, हाइकोर्ट करेगी सुनवाई

पूर्व रेल मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड में उनके परिवार की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. यह सुनवाई अभियुक्त आनंद मार्गियों की अपील और ललित बाबू के परिवार की याचिका पर एक साथ होगी. इस संबंध में दिल्ली हाइकोर्ट ने आदेश जारी किया है.

By Prabhat Khabar | August 13, 2021 6:45 AM

पटना. पूर्व रेल मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड में उनके परिवार की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. यह सुनवाई अभियुक्त आनंद मार्गियों की अपील और ललित बाबू के परिवार की याचिका पर एक साथ होगी. इस संबंध में दिल्ली हाइकोर्ट ने आदेश जारी किया है.

ललित बाबू हत्याकांड की दोबारा जांच के लिए ललित बाबू के परिवार के लोगों ने सीबीआइ को रिप्रजेंटेशन दिया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि इस हत्याकांड में मुख्य अभियुक्त सहित कुछ लोगों को बचाया गया है. इसके कारण उन लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पायी.

सीबीआइ को दिये रिप्रजेंटेशन में कहा गया है कि जो मुख्य आरोपित हैं, उनके नाम इस केस में आये ही नहीं हैं, इसलिए सीबीआइ दोबारा जांच कर मामले की तह तक जाये, क्योंकि तब बहुत सारी बातें आयी थीं और सीबीआइ की उस जांच पर परिवार ही नहीं, आम लोगों को भी भरोसा नहीं हुआ था.

ललित बाबू के पोता वैभव मिश्रा ने प्रभात खबर से कहा कि हमने सीबीआइ से इस केस की दोबारा जांच करने की मांग को रिप्रजेंटेशन दिया है, लेकिन सीबीआइ उसे न स्वीकार कर रहा है और न ही रिजेक्ट कर रहा है. सीबीआइ मौन है. इसी को लेकर हमने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका लगायी है, जिस पर हाइकोर्ट ने आनंद मार्गियों की याचिका के साथ ही इस पर भी सुनवाई करने का फैसला सुनाया है.

वैभव मिश्रा ने कहा कि हमने कोर्ट से अनुरोध किया है कि सीबीआइ को जो रिप्रजेंटेशन दिया गया है, उस पर कार्रवाई करने का निर्देश दे. चूंकि आनंद मार्गियों और अन्य अभियुक्तों की अपील हाइकोर्ट में पेंडिंग है, इसलिए अब मिश्रा परिवार की याचिका और आनंद मार्गियों का अपील एक साथ सुना जायेगा.

दो जनवरी, 1975 को समस्तीपुर स्टेशन पर विस्फोट में हुई थी मौत

समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट में पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या के करीब 40 साल बाद दिसंबर, 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने मिश्र और दो की हत्या और साजिश रचने के आरोप में तीन आनंद मार्गियों और एक वकील को सजा सुनाई थी.

दो जनवरी 1975 को हुए विस्फोट के एक दिन बाद ललित बाबू की मृत्यु हो गयी थी. इसमें संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत, गोपाल जी और अधिवक्ता रंजन द्विवेदी को दोषी ठहराया गया. लेकिन ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद अभियुक्तों ने 2015 में हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की.

Posted by Ashish Jha

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