उफनाई मेंची नदी में समा सकती है 100 एकड़ से भी अधिक खेतिहर जमीन

अत्यधिक बारिश होने के कारण मेंची नदी केजलस्तर में वृद्धि होने के कारण गलगालिया इलाके में कटाव लगातार जारी है़ इस बजह से ग्रामीणों में भय व्याप्त है़ प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कटावरोधी उपायों का कार्य शुरू नहीं किया गया है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी कटाव स्थल जायजा लेने पहुंचे है़ यहां के ग्रामीण लगातार हो रहे कटाव का दंश झेलने को विवश है़ ग्रामीण ग्रामीणों के अनुसार कटाव के कारण करीब 100 एकड़ से भी अधिक खेतिहर जमीन कटाव की जद में आ जायेगी तथा सैकड़ों किसानों का फसल नष्ट हो जाएगा़

By Prabhat Khabar | July 30, 2020 8:50 AM

किशनगंज : अत्यधिक बारिश होने के कारण मेंची नदी केजलस्तर में वृद्धि होने के कारण गलगालिया इलाके में कटाव लगातार जारी है़ इस बजह से ग्रामीणों में भय व्याप्त है़ प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कटावरोधी उपायों का कार्य शुरू नहीं किया गया है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी कटाव स्थल जायजा लेने पहुंचे है़ यहां के ग्रामीण लगातार हो रहे कटाव का दंश झेलने को विवश है़ ग्रामीण ग्रामीणों के अनुसार कटाव के कारण करीब 100 एकड़ से भी अधिक खेतिहर जमीन कटाव की जद में आ जायेगी तथा सैकड़ों किसानों का फसल नष्ट हो जाएगा़

बीओपी की 41वीं बटालियन कार्यालय पर भी खतरा

नदी में जारी कटाव से 41वीं बटालियन के बक्सरभीट्ठा बीओपी भी इस कटाव के चपेट में आ जाएगी़ भातगांव पंचायत के बक्सरभीट्ठा ठिकाटोली, लकड़ी डिपू, थारोधाधनी गांव का अस्तित्व भी मिटा सकता है. नेपाल द्वारा मेची नदी के किनारे अपने क्षेत्र में कटाव रोधी कार्य करने के कारण मेची नदी भारत की जमीन पर लगातार कटाव तथा अपना दिशा बदल रही है़ इसके साथ-साथ खेतों में लगे फसल भी नदी में समा जायेगी़ विशेष रुप से मेची नदी के किनारे चाय, धान, केला उत्पादन करने वाले किसानों के की खेतिहर धीरे-धीरे नदी के कटाव के गर्भ में समा जायेगी़

गांव से नदी की महज सौ मीटर है

ग्रामीणों में शमशेर अली, मोहम्मद जलालुद्दीन, मोहम्मद जमील ने बताया कटाव के कारण गांव से नदी की दूरी महज एक सौ से दो सौ मीटर रह गई है़ इस वजह से लोगों की चिताएं अधिक बढ़ गई है़ वहीं भारत नेपाल सीमा के बीच बनी पिलर जो भारत और नेपाल की सीमा का निर्धारण करती है वह भी मेची नदी के इस कटाव में समा चुकी है़ ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारी तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि से उक्त कटाव स्थल का जायजा लेकर अभिलंब कटावरोधी कार्य करने की मांग की है़

70 प्रतिशत खेती योग्य भूमि कनकई नदी में चढ़ रही भेंट

बिशनपुर. नेपाल की तराई में हुई बारिश से जिले की महाननंदा, कनकई, बुढ़ी कनकई, रतुआ सहित अन्य सहायक नदियां उफान पर है. बढ़ते जल स्तर के कुप्रभाव से कोचाधामन प्रखंड के बलिया गांव की उपजाऊ खेत नदी के कटाव की भेंट चढ़ रही है. किसानों ने बताया कि लगभग छः दशक से कटाव का दंश झेलते हुए बलिया के किसानों के लगभग दो सौ एकड़ उपजाऊ खेत कनकई नदी के गर्भ में जा चुका था. जिससे यहां के किसान की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी़ किसान खुश थे परन्तु पुनः पांच वर्ष पूर्व से कनकई नदी की धारा ने फिर अपनी दिशा बदली और धीरे धीरे लगभग 70 प्रतिशत खेती योग्य भूमि फिर से कनकई नदी के भीषण कटाव की भेंट चढ़ रही है. इस बार उक्त सभी किसानों को अब साफ दिखाई देने लगा है कि अब हमलोगों का उक्त उपजाऊ खेत अंतिम बार नदी का ग्रास बन रहा है जो कभी भी उपज नहीं दे पाएगा. अभी भी लगभग 30 प्रतिशत खेत को कटाव से बचाया जा सकता है़ ग्रामीण किसानों ने स्थानीय विधायक का ध्यान आकृष्ट करते हुए मांग की है कि कटाव के दंश से उपजाऊ खेत तथा हरिजन टोला बलिया को भी बचाने के लिए कोई कारगर कटाव निरोधक कार्य किया जाय जिससे गांव का अस्तित्व बच सके.

posted by ashish jha

Next Article

Exit mobile version