देश को मिले 69 नए ARMY ऑफिसर, तीन सपूत बिहार के, गया OTA में दिखाया दमखम और पराक्रम
Gaya OTA: गया ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में 22वीं पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया और देश को 69 सैन्य अफसर सौंपे गए.
Bodh Gaya (गया): गया ओटीए से छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त कर 69 सैन्य अधिकारी देश सेवा के लिए पासआउट हुए. आउट होने वाले 69 कैडेट्स में भारत के 61, भूटान के पांच, वियतनाम के दो व श्रीलंका के एक कैडेट्स शामिल थे.
इनमें से तीन बिहार के हैं. नवादा, गया व बांका के लाल भी सेना का अधिकारी बन कर निकले हैं. शनिवार को ओटीए परिसर में इनकी पासिंग आउट परेड हुई और इसके बाद पिपिंग सेरेमनी में इन्हें तिरंगे के नीचे संविधान की रक्षा करने व देश सेवा की शपथ दिलायी गयी.
युद्ध हो या शांति, सैन्य अधिकारियों की भूमिका अहम : लेफ्टिनेंट जनरल महलइस मौके पर पासिंग आउट परेड के निरीक्षी अधिकारी के रूप में आर्मी ट्रेनिंग कमांड जनरल अफसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर सिंह महल (अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल) पासआउट हो रहे सैन्य अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा कि देश को आपकी जरूरत युद्ध व शांति दोनों वक्त में अहम है. देश आपसे काफी अपेक्षा रखता है और आपका समर्पण व योगदान देश को काम आयेगा.
पारिवारिक माहौल ने भरा देशसेवा का जज्बा : संजीवगया ओटीए में पिपिंग सेरेमनी के दौरान 28 असम राइफल में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर नियुक्त नवादा के रूपौ गांव के संजीव कुमार ने बताया कि बचपन से ही घर में ऐसा माहौल मिला कि आर्मी में आने का मन बना लिया. मेरे परिवार के आठ सदस्य आर्मी में हैं. उन्होंने इंटर की पढ़ाई कर एनडीए की परीक्षा दी और चयन होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर आज वह पास आउट हो गये. संजीव के पिता सत्येंद्र प्रसाद सिंह पांच असम रायफल में सुवेदार मेजर हैं.
गया के नयी गोदाम मुहल्ले में रहने वाले मूल रूप से डेहरी ऑन-सोन के निवासी सुधीर कुमार तिवारी ने कहा कि सेना की वर्दी व रूतबे ने हमें प्रभावित किया. उन्होंने बताया कि आर्मी के लिए चार वर्ष की ट्रेनिंग की. सेना में अलग तरह की जिंदगी होती है. यहां अनुशासन के साथ यूनिफॉर्म मिलता है और सबसे बड़ी बात है कि देशवासी आपको कितने सम्मान के साथ देखते हैं.
आर्मी के जवानों से मिली प्रेरणा : रजनीशगया ओटीए में शनिवार को आयोजित पासिंग आउट परेड व पिपिंग सेरेमनी में बांका के रजनीश कुमार ने बताया कि उनके पिता आर्मी में थे. वह बचपन से ही आर्मी के जवानों को देखते रहे हैं. आर्मी एरिया में रहने के कारण उनका भी मन आर्मी बनने का होने लगा और भारतीय सेना में योगदान करने की ठानी. उन्होंने कहा कि युवाओं को इंडियन आर्मी में योगदान करना चाहिए.
