उद्यान विभाग देगा फूड प्रोसेसिंग यूनिट को बढ़ावा, बिहार में बढ़ेंगे रोजगार, किसान होंगे समृद्ध

लगातार 10 वर्षों से खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की उठ रही मांगों पर अब विराम लग जायेगा. यहां के किसानों व उद्यमियों दोनों के लिए खुशखबरी है.

By Prabhat Khabar | February 13, 2021 12:09 PM

दीपक राव, भागलपुर. लगातार 10 वर्षों से खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की उठ रही मांगों पर अब विराम लग जायेगा. यहां के किसानों व उद्यमियों दोनों के लिए खुशखबरी है.

नयी बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति 2020 को स्वीकृति मिल जाने के बाद अब कृषि आधारित उद्योगों के लिए बैंकों से कर्ज के अलावा 15 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी, 25 प्रतिशत फार्म प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन को सब्सिडी व पांच प्रतिशत इबीसी इंटप्रेन्योर को सब्सिडी मिल सकेगी.

इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में उत्पादित टमाटर, भिंडी, परवल, फूल गोभी, बैगन, लीची, आम, केला, मक्का, गेहूं, धान का उपयोग करने के लिए फूड प्रोसेसिंग कराने का उद्योग स्थापित किया जाये तो भागलपुर की सूरत ही बदल जायेगी और कामकाजी महिलाओं को काम, युवाओं को रोजगार और किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम मिलने लगेगा.

इच्छुक उद्यमी व किसान कर सकते हैं आवेदन

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार ने बताया कि प्रदेश के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बीएआइपीपी यानी बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति की ऑनलाइन आवेदन प्रणाली का शुभारंभ किया है. इससे विभिन्न फसलों के अवशेष उत्पादन एवं प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाने, खर्च कम करने, उचित मूल्य दिलाने और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने बताया कि यह पॉलिसी 31 मार्च 2025 तक है.

आम, लीची, मक्का व मधु से मिलेगा लाभ

सहायक निदेशक ने बताया कि नयी नीति के तहत निवेशक को लागत राशि का 15 फीसदी एवं किसान उत्पादक कंपनी के लिए 25 फीसदी क्रेडिट लिंक पूंजी अनुदान मिलेगा. इस नीति में कुल सात सेक्टर को फायदा मिलेगा. मखाना, फल, सब्जी, मधु, औषधीय और सुगंधित पौधे, मक्का, बीज और चाय हैं. सभी सेक्टर में 25 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये तक राशि दी जाएगी.

भागलपुर प्रक्षेत्र सब्जी का है बड़ा उत्पादक क्षेत्र

इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव आलोक अग्रवाल ने बताया कि भागलपुर प्रक्षेत्र कृषि, बागवानी और सब्जी का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है. यहां पर विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न, फल और सब्जियां पैदा होती हैं. खासकर फल में आम, लीची और केला, सब्जी में टमाटर, परवल, फूल गोभी, भिंडी, बैगन, पत्ता गोभी आदि, खाद्यान्न में मक्का, चावल व गेहूं का इस क्षेत्र में पूरा उपयोग नहीं होने के कारण दूसरे प्रांतों में सप्लाइ करना पड़ता है, जिससे यहां के किसानों का उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पाता है.

औद्योगिक सलाहकार सीए प्रदीप झुनझुनवाला ने बताया कि उत्तर भागलपुर के बिहपुर, नवगछिया, गोपालपुर में केला व लीची एवं सुल्तानगंज, सबौर, कहलगांव, पीरपैंती, बिहपुर, नवगछिया, गोपालपुर, नाथनगर में आम का उत्पादन भारी मात्रा में होता है. यदि इसका सदुपयोग करने के लिए फूड प्रोसेसिंग कराया जायेगा तो कृषि उत्पादकों को काफी लाभ मिलेगा.

75 हजार हेक्टेयर भूमि मंे होता है आम का उत्पादन

राज्य सरकार के कृषि और बागवानी विभागों के आंकड़े बताते हैं कि भागलपुर जिले में सालाना 75 हजार हेक्टेयर भूमि में 80320 मैट्रिक टन आम, 510 हेक्टेयर में 3615 मैट्रिक टन लीची व 1540 हेक्टेयर भूमि में 51120 मैट्रिक टन केला का उत्पादन होता है. इसके अलावा जिले में 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान, 1 लाख 10 मीट्रिक टन मक्का, 58 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 5 हजार मीट्रिक टन अमरूद, 1 लाख 60 हजार मीट्रिक टन आलू, 52 हजार मीट्रिक टन प्याज और 50 हजार मीट्रिक टन टमाटर की अनुमानित पैदावार भागलपुर में होती है.

पांच करोड़ की राशि पर मिलेगा यह लाभ

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार ने बताया कि बिहार एग्री इंवेस्टमेंट प्रोमोशन पॉलिसी 2020- सीबीएआइ पीपी-2020 के तहत फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं. इसके तहत 50 से 60 फीसदी कुल लागत मूल्य का लाभ अनुदान के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. कम से कम 25 लाख का यूनिट लगाना होगा. अधिक से अधिक पांच करोड़ की राशि पर लाभ मिलेगा.

Posted by Ashish Jha

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