Gaya News : समाज से जुड़ाव की नयी मिसाल बना आइआइएम बोधगया का ”राइज” कार्यक्रम

Gaya News : भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) बोधगया अपने प्रमुख ग्रामीण सामाजिक जुड़ाव कार्यक्रम राइज के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को छू रहा है.

By PRANJAL PANDEY | June 17, 2025 10:55 PM

बोधगया. भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) बोधगया अपने प्रमुख ग्रामीण सामाजिक जुड़ाव कार्यक्रम राइज के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता के क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को छू रहा है. इस बार के संस्करण में इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट के 145 छात्रों ने देशभर के 13 राज्यों में फैले 20 अग्रणी विकास संगठनों के साथ मिलकर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया. बिहार में शुरू हुई यह पहल अब राष्ट्रव्यापी अभियान बन चुकी है. छात्र तेलंगाना के नल्लमाला जंगलों में स्थित आदिवासी बस्तियों से लेकर उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों तक पहुंचे और शिक्षा, पेयजल, स्वच्छता, स्वच्छ ऊर्जा तथा आजीविका से जुड़ी जमीनी चुनौतियों से सीधा सामना किया.

प्रमुख संगठनों के साथ रणनीतिक साझेदारी

छात्रों ने टाटा ट्रस्ट्स, भारती एयरटेल फाउंडेशन, पिरामल फाउंडेशन, बीएआइएफ, टाटा स्टील फाउंडेशन और रामकी फाउंडेशन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ भागीदारी की. इस दौरान वे विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिनमें ग्रामीण स्कूलों का ऑडिट, स्वास्थ्य सर्वेक्षण, स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित व्यवसायों का डिजिटलीकरण, दूरदराज के क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में सहयोग शामिल है.

स्थानीय स्तर पर भी निभा रहा अहम भूमिका

आइआइएम बोधगया ने बोधगया के समीपवर्ती पांच गोद लिए गांवों महुड़र, बापूनगर, तुरी खुर्द, तुरी बुजुर्ग और रामपुर में भी अपनी भागीदारी गहरी की है. इन गांवों में चल रही गतिविधियों में आधारभूत सर्वेक्षण, मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, स्कूल मूल्यांकन, ग्लैड भारत फाउंडेशन और जीविका के सहयोग से स्पर्श और हैप्पी पीरियड जैसी संस्थागत पहलों का संचालन शामिल हैं.

‘राइज’ बना उद्देश्यपूर्ण प्रबंधन शिक्षा का प्रतीक

आइआइएम बोधगया के पीआर सेल के अनुसार, राइज अब केवल एक फील्ड-आधारित शिक्षण कार्यक्रम नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन चुका है, जहां प्रबंधन शिक्षा सामाजिक उद्देश्य को साकार करती है. यहां छात्र केवल सीखते नहीं, बल्कि समाज में प्रत्यक्ष योगदान भी देते हैं. राइज छात्रों को न केवल जमीनी हकीकत से अवगत कराता है, बल्कि उन्हें परिवर्तन का वाहक भी बनाता है.

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