गंगा दशहरा के व्रत व पूजन से सभी तरह की व्याधियों से मिलती है मुक्ति

गंगा दशहरा पर्व सनातन धर्म व संस्कृति का एक पवित्र त्योहार है. इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. यह जानकारी देते हुए पंडित आनंद शंकर पांडेय ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन देश की सबसे पवित्र नदी गंगा में स्नान, पूजन व दान-पुण्य करने से मनुष्य को न केवल पापों से मुक्ति मिल जाती है.

By Prabhat Khabar | May 29, 2020 12:54 AM

गया : गंगा दशहरा पर्व सनातन धर्म व संस्कृति का एक पवित्र त्योहार है. इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. यह जानकारी देते हुए पंडित आनंद शंकर पांडेय ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन देश की सबसे पवित्र नदी गंगा में स्नान, पूजन व दान-पुण्य करने से मनुष्य को न केवल पापों से मुक्ति मिल जाती है. बल्कि उनकी सभी व्याधियां भी दूर हो जाती है. साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. उन्होंने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व इस वर्ष एक जून को मनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि इसका शुभ मुहूर्त 31 मई 2020 को शाम 05:36 बजे से एक जून 2020 को दोपहर 02:57 बजे तक है.

गंगा दशहरा का है यह महत्वश्री पांडे ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि गंगा मां की आराधना करने वाले मनुष्य को दस पापों (प्राणी काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट व परनिंदा) से मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने बताया कि मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा के दिन सत्तू, मटका व हाथ का पंखा दान करने से मनुष्य को दुगुने फल की प्राप्ति होती है.मां गंगे का पृथ्वी पर ऐसे हुआ था अवतरण की श्री पांडेय ने धार्मिक व पौराणिक कथा के अनुसार बताया कि मां गंगा को स्वर्गलोक से धरती पर लाने के लिए राजा भागीरथ ने कठोर तप किया था.

राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगे ने पृथ्वी पर आने का उन्हें आशीर्वाद दिया था. लेकिन मां गंगे की गति इतनी अधिक थी कि उसे पृथ्वी की ऊपरी सतह पर रोक पाना नामुमकिन था. तब भागीरथ ने मां गंगे की इच्छा पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी. राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा मां को अपनी जटाओं में समा लिया था. इसके बाद भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से मां गंगे को धीमी गति के साथ पृथ्वी पर उतारे थे.

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