विश्वसनीयता की कसौटी पर खरी है प्रभात खबर की पत्रकारिता : आइजी

गया : प्रभात खबर के गया यूनिट के नौवें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर आइजी मगध रेंज पारसनाथ व एसएसपी राजीव मिश्रा सोमवार को अखबार के कार्यालय में पहुंचे. यहां दोनों अधिकारियों ने प्रभात खबर के सदस्यों के साथ मिल कर आयोजन में भाग लिया. कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में आइजी पारसनाथ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2019 2:10 AM

गया : प्रभात खबर के गया यूनिट के नौवें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर आइजी मगध रेंज पारसनाथ व एसएसपी राजीव मिश्रा सोमवार को अखबार के कार्यालय में पहुंचे. यहां दोनों अधिकारियों ने प्रभात खबर के सदस्यों के साथ मिल कर आयोजन में भाग लिया. कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में आइजी पारसनाथ ने मीडिया के वर्तमान दौर पर कई गंभीर बातें कहीं. उन्होंने कहा कि इस वक्त देश और दुनिया में विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल है.

मीडिया भी इसी सवाल के घेरे में है. मीडिया के लिए अपनी विश्वसनीयता बनाये रखना एक बड़ा चैलेंज है. यह सत्य है कि मीडिया वह स्तंभ है, जहां एक आम आदमी की सबसे आसान पहुंच है. ऐसे में मीडिया की जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी है. एक व्यक्ति या समाज, जो हाशिये पर है, उसकी आवाज मीडिया ही है.
यह मीडिया से जुड़े लोगों को समझना होगा. आइजी ने कहा कि समाज में सुधार लाने का सबसे बड़ा माध्यम है सकारात्मकता. तमाम समस्याओं और अपराधों की खबरें को स्थान देेने के साथ-साथ मीडिया, खास कर अखबार और पत्रिकाएं समाज की सकारात्मक चीजों को प्रमुखता से पेश करे. हमारे समाज में सैकड़ों लोग हैं, जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को मीडिया कवरेज मिलने से दूसरों को भी प्रेरणा मिल सकेगी.
उन्होंने कहा कि पाॅजिटिव जर्नलिज्म इस देश में तमाम प्रकार की अराजकता पर एक विराम लगा सकती है. उन्होंने प्रभात खबर की पत्रकारिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में उन्होंने जो देखा और अध्ययन किया उसमें यह पाया कि प्रभात खबर की पत्रकारिता का स्तर दूसरे अखबारों की तुलना में बहुत बेहतर है.
कुरीतियों के खिलाफ खड़ें हों लोग
बातचीत के दौरान एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि समाज में जातीय व सांप्रदायिक मामलों की वजह से अधिक तनाव की स्थिति पैदा होती है. 21वीं सदी में इन विषयों पर तनाव होना कोई मायने नहीं रखता. दूसरा मामला आता है अंधविश्वास का. हर वर्ष न्यूनतम 8-10 हत्याएं केवल अंधविश्वास के कारण हो जाती हैं. इनमें ओझा-गुनी, डायन जैसे मामले आते हैं. इन कुरीतियों को समाप्त करना होगा. एक बेहतर और स्वच्छ समाज बनाने के लिए गयावासी इन कुरीतियों के खिलाफ खड़े हों. यह समाज के स्तर पर ही होगा. हां, यह जरूर है कि ऐसी घटनाओं और ऐसे विषयों पर मीडिया भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.
मीडिया इन विषयों के नकारात्मक परिणाम के बारे में समाज को बताये, लोगों को जागरूक करे. एसएसपी ने कहा कि इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए मीडिया और समाज के लोगों की पहल को प्रशासनिक तौर पर पूर्ण समर्थन मिलेगा. एसएसपी ने भी गया में प्रभात खबर के कामकाज की सराहना की और कहा कि प्रभात खबर ने समाज की बेहतरी से जुड़े कई मुद्दों को प्रमुखता से प्रकाशित किया है.

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