अनदेखी. स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग की कवायद में गड़बड़ी

कुछ माह पहले ही बीएसएनएल को सिस्टम लगाने का मिला था कांट्रैक्ट नहीं बनाया जा सका है निगम में अब तक कंट्रोल रूम गया : निगम की गाड़ियों से धीरे-धीरे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) गायब होता जा रहा है. सिर्फ खानापूर्ति के लिए कई पुरानी गाड़ियों में जीपीएस लगा दिया गया है, जबकि इन गाड़ियों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2018 5:05 AM

कुछ माह पहले ही बीएसएनएल को सिस्टम लगाने का मिला था कांट्रैक्ट

नहीं बनाया जा सका है निगम में अब तक कंट्रोल रूम
गया : निगम की गाड़ियों से धीरे-धीरे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) गायब होता जा रहा है. सिर्फ खानापूर्ति के लिए कई पुरानी गाड़ियों में जीपीएस लगा दिया गया है, जबकि इन गाड़ियों में लगे जीपीएस का कंट्रोल कहीं से नहीं हो पाता है. निगम सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग के लिए गाड़ियों में जीपीएस लगाने की बात सामने आयी थी. इसके बाद निगम की सभी पुरानी-नयी गाड़ियों में जीपीएस बीएसएनएल से कांट्रैक्ट कर लगवाया गया है. 30 से अधिक ऐसी गाड़ियों में भी जीपीएस लगा दिया गया, जिसमें बैटरी ही नहीं है. धक्का देकर या फिर अन्य जुगाड़ से गाड़ी स्टार्ट किया जाता है.
निगम के कर्मचारियों ने बताया कि बिना बैटरीवाली गाड़ियों में जीपीएस लगाने का कोई मतलब नहीं होता. बैटरीवाली गाड़ियों में लगाये गये जीपीएस में भी कई काम करना बंद कर दिये हैं. इसके साथ ही अब तक कंट्रोल रूम तक नहीं बन सका है. हालांकि शुरू में कहा गया था कि सभी गाड़ियों पर नियंत्रण रखने के लिए नगर निगम में एक स्थायी कंट्रोल रूम बना कर कर्मचारी रखे जायेंगे. लेकिन, अब तक यह काम शुरू नहीं हो सका है. अब तक निगम की गाड़ियों पर स्टोर तक वहां के प्रभारी व बाहर में ड्राइवर का नियंत्रण होता है.
निगम में वर्कशॉप का है अभाव
नगर निगम में करीब दो सौ से अधिक गाड़ियां हैं. इन्हें बनाने के लिए निगम स्टोर में छोटी सी संसाधन विहीन वर्कशॉप है. गाड़ियों में अगर कोई बड़ा काम कराना पड़ता है, तो बाहर के मिस्त्री का सहारा लेना होता है. कई बार बोर्ड की बैठक में इसके लिए चर्चाएं की गयीं. लेकिन, अब तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हुई है. इतना ही नहीं, गाड़ियों को रखने के लिए शेड तक निगम में नहीं बनाये गये हैं. गाड़ियों को ऐसे ही खुले में रखा जाता है.
सफाई में यूज होनेवाली गाड़ियों की संख्या
टेंपो 77
ट्रैक्टर 26
टीपर 40
डंपर 06
मिनी लोडर 02
बड़ा लोडर 03
क्या कहते हैं मेयर
जीपीएस बिना बैटरीवाली गाड़ियों में लगाने का कोई मतलब ही नहीं होता है. अगर निगम में बिना बैटरीवाली गाड़ियों में जीपीएस लगाये गये हैं, तो यह कोई काम का नहीं है. इस मामले में जांच करा कर कार्रवाई की जायेगी. कंट्रोल रूम बनाने का आदेश संबंधित प्रभारी को दे दिया गया है. जल्द ही व्यवस्था सुदृढ़ कर ली जायेगी.
वीरेंद्र कुमार, मेयर

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