मानवता : बिहार के सरोज के लिए देवी बनी दिल्ली की प्रीति, अपनी ट्रेन छोड़ घायल को ठेले पर पहुंचाया अस्पताल

बेतिया : आज भी मानवता जिंदा है. इसका उदाहरण एक महिला की तत्परता से उस वक्त देखने को मिला, जब उसने अपनी ट्रेन छोड़ कर घायल 20 वर्षीय एक युवक की जान बचायी. महिला ने घायल युवक को मुजफ्फरपुर जंक्शन से सदर अस्पताल पहुंचाया. इतना ही नहीं, उसने इलाज के लिए पूरी कागजी कार्यवाही भी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 9, 2018 9:47 AM

बेतिया : आज भी मानवता जिंदा है. इसका उदाहरण एक महिला की तत्परता से उस वक्त देखने को मिला, जब उसने अपनी ट्रेन छोड़ कर घायल 20 वर्षीय एक युवक की जान बचायी. महिला ने घायल युवक को मुजफ्फरपुर जंक्शन से सदर अस्पताल पहुंचाया. इतना ही नहीं, उसने इलाज के लिए पूरी कागजी कार्यवाही भी पूरी की. उसकी मानवीय कर्तव्य की जानकारी मिलने पर रेलवे पुलिस के अधिकारी अस्पताल पहुंचे और महिला को धन्यवाद दिया. घायल युवक समस्तीपुर के उजियापुर के बेला तेज का सरोज भारती है. महिला दिल्ली की कल्याणपुर निवासी प्रीति तिवारी है. घायल की हालत सामान्य है.

प्रीति ने बताया कि वह वैशाली सुपर फास्ट एक्सप्रेस में सफर कर रही थी. कर्पूरीग्राम स्टेशन के समीप ट्रेन ककी गेट पर बैठे सरोज का पैर स्टेशन के रेलिंग से टकरा गया. इससे उसका पैर गंभीर रूप से जख्मी हो गया. इससे वह दर्द से कराहने लगा. प्रीति ने उसे ट्रेन में अपनी सीट पर बैठाया. मुजफ्फरपुर जंक्शन आने पर उसने सरोज को प्लेटफॉर्म पर उतारा. मदद के लिए गुहार लगायी. लेकिन, किसी ने उसकी मदद नहीं की.

घायल को ठेले से पहुंचाया अस्पताल, इलाज कराने के बाद शाम की ट्रेन से रवाना हुई गोंडा

इसके बाद प्रीति जीआरपी गयी और पैर कटने की बात कही. प्रीति ने जीआरपी से एंबुलेन्स से सरोज को अस्पताल पहुंचाने के लिए कहा. लेकिन, पुलिस ने एंबुलेन्स की जगह ठेले से उसे अस्पताल भेजने की बात कहीं. सरोज को तड़पता देख प्रीति की कई बार पुलिस से बहस भी हो गयी. इसके बाद जीआरपी ने एक ठेले से सरोज को सदर अस्पताल पहुंचाया. युवक के साथ प्रीति भी अपनी ट्रेन छोड़ कर सदर अस्पताल गयी. वहां उसने कागजी प्रक्रिया पूरी कर उसका इलाज कराया.

यूपी के गोंडा में नर्सिंग की छात्रा है प्रीति

दिल्ली में कल्याणपुर की रहनेवाली प्रीति यूपी के गोंडा में नर्सिंग की पढ़ाई करती है. उसने बताया कि वह अपने रिश्तेदार के घर शादी में बरौनी गयी थी. आज गोंडा जा रही थी. उसने कहा कि हम सभी को घायलों को मदद करनी चाहिए. आज सहायता करने से हर कोई डरता है, जबकि उसे डरने की जरूरत नहीं है.

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