लड़ाकू विमानों को छिपने की तकनीकी ईजाद करने वाले डॉ.संजय को मिला सम्मान

बक्सर / डुमरांव : लड़ाकू विमानों के युद्ध के दौरान दुश्मन देश की नजर में ना आने वाली तकनीक विकसित करने वाले डॉ. संजय को बक्सर जिले की ग्राम गौरव संस्था की ओर से सम्मानित किया गया. डॉ.संजय को इससे पूर्व भारत के राष्ट्रपति और बिहार के मुख्यमंत्री भी सम्मानित कर चुके हैं.संस्था के द्वारा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 24, 2017 2:19 PM

बक्सर / डुमरांव : लड़ाकू विमानों के युद्ध के दौरान दुश्मन देश की नजर में ना आने वाली तकनीक विकसित करने वाले डॉ. संजय को बक्सर जिले की ग्राम गौरव संस्था की ओर से सम्मानित किया गया. डॉ.संजय को इससे पूर्व भारत के राष्ट्रपति और बिहार के मुख्यमंत्री भी सम्मानित कर चुके हैं.संस्था के द्वारा सोमवार को केपीएच हाइस्कूल के प्रांगण में सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन डॉ. स्वामीनाथ तिवारी तथा अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीपप्रज्वलित कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. स्वामीनाथ ने कहा कि यह धरती महान सपूतों को जन्म देती है. जहां गंगा तट पर बसे डुमरी ग्राम, जिसने कितने विभूतियों कोपैदा किया. इसकी महती परंपरा को अपनी ओर से विशेष गौरव प्रदान किया है. आज का यह क्षण काफी खुशी का है जो कि इस अवसर पर हम सबों को महान देश के योद्धा डॉ. संजय कुमार को सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ है. जिनको राष्ट्रपतिकेहाथों पुरस्कृत व बिहार गौरव से सम्मानित किया जा चुका है.

डॉ. संजय के कार्य की हुई सराहना

उन्होंने कहा कि डॉ. संजय इसी डुमरी गांव से दसवीं की व डीके कॉलेज से इंटर कर देश को लोहा मनवाने के कार्य में अग्रसर हो गये और संजय ने वायु सेना के लिए ऐसी वेव तकनीक विकसित की, जिसके जरिये वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों को दुश्मन के रडार से छिपाने में दक्ष हुई. कुमार को इस उपलब्धि के लिए 8 अक्टूबर 2016 को भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा. साथ ही, इसी साल 26 जनवरी को बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद ने बिहार गौरव सम्मान से नवाजा है. वहीं, कुमार ने सभी उपस्थित ग्रामीण जनता को अभिवादन करते हुए, सभी उपस्थित छात्र-छात्राओं को देश को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में मन लगाकर पढ़ने की बात कही.

डॉ. संजय कुमार ने लिखी है सात पुस्तकें

डॉ.संजय कुमार ने इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं की तकनीकों पर सात पुस्तकें लिखी हैं. जिनमें चार पुस्तकों को वायुसेना की देशभर की लाइब्रेरियों में सुरक्षित रखा गया है. तीन पुस्तके आई.आई.टी में भी पढ़ाई जा रही हैं. सुखोई व एमआई -17 विमानों को देश में मेंनटेनेन्स का उपाय ढूंढ़ने वाली टीम में भी संजय महत्वपूर्ण भूमिका में रह चुके है.

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