झोंपड़ी में रहते हैं जवान, पानी पीने के लिए जाना पड़ता है दूसरे के घर

औद्योगिक थाना जिला मुख्यालय के थानों में एक प्रमुख स्थान रखता है. यूपी-बिहार को जोड़ने वाला मार्ग हो या फिर बक्सर-आरा की सड़कों पर निगाहेबानी करने की जिम्मेदारी हो, इसी थाने पर निर्भर है. इस थाने के जिम्मे सदर प्रखंड के 82 गांव यानि करीब ढाई लाख से अधिक की आबादी की रखवाली है. लेकिन, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 5, 2020 2:11 AM

औद्योगिक थाना जिला मुख्यालय के थानों में एक प्रमुख स्थान रखता है. यूपी-बिहार को जोड़ने वाला मार्ग हो या फिर बक्सर-आरा की सड़कों पर निगाहेबानी करने की जिम्मेदारी हो, इसी थाने पर निर्भर है. इस थाने के जिम्मे सदर प्रखंड के 82 गांव यानि करीब ढाई लाख से अधिक की आबादी की रखवाली है. लेकिन, दुर्भाग्य इस बात का है कि थानेदार से लेकर जवान तक को न तो बैठने और न ही रहने की व्यवस्था है. बियाडा की जमीन पर चल रहे इस थाने को अपनी भूमि तक नहीं है.

पंकज कुमार, बक्सर : बक्सर-आरा मार्ग पर औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक थाना चलता है. बियाडा की जमीन पर यह वर्षों से संचालित हो रहा है. पूरी तरह असुविधाओं से लैस यह थाना लोगों की सुरक्षा में हर पल तैनात रहता है. चार वर्ष पूर्व यह तब चर्चा में आया था, जब एक घटना के विरोध में लोगों ने इस थाने में घुसकर एक चौकीदार को जिंदा जला दिया था. यदि इस थाने की भौतिक संरचना ठीक रहती तो यह घटना भी नहीं होती.
इस घटना ने पूरे राज्य और देश को दहला दिया था. बावजूद इसके अब तक यहां के पुलिस पदाधिकारियों ने इसके भौतिक संरचना पर कोई ध्यान नहीं दी. इसके मुख्य द्वार पर गेट भी नहीं है. थाना में एक चापाकल है. वह भी खराब है. पेयजल के लिए दूसरे के घरों के निजी चापाकल से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. वहीं, शौचालय की स्थिति भी खराब है. जैसे-तैसे जवान इसका इस्तेमाल करते हैं.
दो वर्ष पूर्व पटना हाइकोर्ट से जमीन खाली करने का आदेश मिल चुका है. यानी अब यहां थाना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर चल रहा है. यदि आज सख्ती हुई तो थाने को कहां शिफ्ट किया जायेगा. इसकी कोई प्लानिंग पुलिस पदाधिकारियों के पास नहीं है.
यानी आज तत्काल यदि थाना हटाना पड़े तो यह पूरी तरह सड़क पर है. इसकी व्यवस्था को लेकर न तो अब तक राज्य के बड़े पुलिस अधिकारी ही सोच सके और न ही जिले के. जबकि कई बार थाने को दूसरे जगह शिफ्ट करने के लिये प्रशासनिक पदाधिकारियों के यहां गुहार लगायी गयी.
82 गांवों की सुरक्षा संभालने वाला थाना बदतर हाल में
बोले थाना प्रभारी, जमीन के लिए पदाधिकारियों से बात की गयी, लेकिन, समस्या जस की तस
जमीन के लिए जिले के पदाधिकारियों से बात की गयी है. लेकिन, अब तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है. असुविधाएं काफी हैं फिर भी इनमें ही रहकर बेहतर काम करना है.
दिनेश कुमार मालाकार, थाना प्रभारी
एस्बेस्टस क्षतिग्रस्त, बदहाली में रह रहे जवान
जवानों के रहने के लिए एक बड़ा हॉल है. इसमें 22 जवान रहते हैं. इसके अलावा भी तीन चार छोटे-छोटे कमरे हैं. जिनमें अन्य जवानों को रहने की व्यवस्था है. ये सभी झोपड़ी और एस्बेस्टस की हैं. एस्बेस्टस पूरी तरह क्षतिग्रस्त है. यह टूट कर नीचे की ओर गिर रहे हैं.
इसके नीचे सोने वाले जवान हमेशा भयभीत रहते हैं कि कभी कोई घटना न हो जाये. बारिश में पूरे हॉल में पानी भर जाता है. इन विषम परिस्थिति में रहकर जवान हर समय लोगों की सेवा के लिए तैयार रहते हैं.
जब्त गाड़ियों की नीलामी नहीं होने से राजस्व की क्षति
थाना में सैकड़ों गाड़ियां जब्त कर खड़ी की गयी है. इनमें दोपहिया से लेकर चार पहिया तक के वाहन हैं. लेकिन, इनकी निलामी नहीं होने से गाड़ियां खराब हो रही हैं. यदि गाड़ियों की निलामी होती तो इनसे अच्छे खासे राजस्व की प्राप्ति होती.
दो वाहनों के भरोसे पूरा क्षेत्र
थाने में दो वाहन हैं. जिनके ऊपर 82 गांवों को देखने की जिम्मेदारी है. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि थाने की पुलिस किस हालत में क्राइम को कंट्रोल करती होगी. थाना प्रभारी ने बताया कि फिलहाल एक और वाहन की जरूरत है. जिसके लिए प्रयास किया जा रहा है.
झोंपड़ी में बैठते हैं थानेदार
थानेदार दिनेश कुमार मालकार का कक्ष एस्बेस्टस और झोंपड़ी में चलता है. बारिश के दिनों में इससे पानी भी टपकता है. किसी समान और कागज को बड़े ही संभाल कर रखना पड़ता है. एस्बेस्टस कई जगहों से टूट-फूट चुका है. इसे संरक्षित करने के लिए थानेदार ने इस पर फूस का पट्टा बनाकर डाला है ताकि बारिश में भींगने से बचा जा सके.
थाने में मानव बल एवं संसाधन पर एक नजर
वाहन- 02
सिपाही- 22
एसआइ- 05
एएसआइ- 05
चौकीदार- 17

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