बिहार में नीतीश कुमार के मजबूत दुर्ग को भेदने की ताक में भाजपा, कुशवाहा वोट की सियासत क्यों है गर्म? पढ़ें..

बिहार में कुशवाहा वोट की सियासत गर्म है. भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी कुशवाहा बिरादरी के सम्राट चौधरी को ही मनोनीत किया है. लव कुश समीकरण सीएम नीतीश कुमार का मजबूत हथियार रहा है. जानिए किस तरह नीतीश कुमार के मजबूत दुर्ग को भेदने की तैयारी में है भाजपा..

By Prabhat Khabar Print Desk | March 24, 2023 11:45 AM

ठाकुर शक्तिलोचन:

बिहार में सियासी समीकरण बदले तो भाजपा और जदयू की राहें अलग हो गयी है. वहीं बात जब बिहार के सियासत की हो तो हर हाल में जातीय गोलबंदी के प्रयास में हर एक दल दिखता है. एक तरफ जहां माइ समीकरण (मुस्लिम+यादव) की बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका रहती है तो दूसरी तरफ लव-कुश समीकरण का भी अहम योगदान जीत और हार में रहता है. एनडीए और महागठबंधन दोनों मजबूत वोट बैंक वाली जाति को साधने में लगी है. एकबार फिर से कुशवाहा की राजनीति गरमायी हुई है. भाजपा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कहीं न कहीं एक अलग संदेश दे दिया है.

लव-कुश समीकरण और सीएम नीतीश

बिहार में जब बात माइ समीकरण (M-Muslim, Y- Yadav) की होती है तो इसका लाभ राजद को अधिक मिलता दिखा है. वहीं अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी ताकत को देखा जाए तो बिहार में वो लव-कुश यानी कुर्मी-कोइरी जाति को साधने में शुरू से दिखते रहे हैं. 1994 में पहली बार पटना के गांधी मैदान में महारैली का आयोजन किया था जिसमें लव-कुश एकता का संदेश बाहर आया था. इस रैली में नीतीश कुमार ने बड़ा आह्वान किया था. हाल में उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सा मांगने वाले बयान में इसी रैली का जिक्र किया था.

नीतीश कुमार के सियासी हथियार

नीतीश कुमार के सियासी हथियारों में लव-कुश समीकरण वाले वोट बेहद अहम रहे हैं. यादव वोटरों के बाद कुशवाहा (कोइरी) वोटरों की बड़ी भूमिका चुनाव में रही है. हालाकि ये वोट एकमुश्त नहीं रहे. लेकिन बात कोइरी-कुर्मी वोटों की हो तो इसका बड़ा लाभ नीतीश कुमार की पार्टी को मिलता रहा है. भाजपा अब इन्हीं वोटों में सेंधमारी की ताक में दिख रही है.

Also Read: बिहार भाजपा: सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में इस नेता की रही बड़ी भूमिका, निभाया अहम रोल…
उपेंद्र कुशवाहा के बाद सम्राट चौधरी बनेंगे मुसीबत?

उपेंद्र कुशवाहा हाल में ही जदयू से नाराज होकर अलग हो गए. केंद्र सरकार ने कुशवाहा को वाइ प्लस की सुरक्षा भी दे दी. उपेंद्र कुशवाहा से भाजपा की करीबी बढ़ी है. वहीं अब सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. सम्राट चौधरी भी कुशवाहा बिरादरी से ही आते हैं. शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट मुद्दों को बेहद आक्रमक तरीके से सामने रखते हैं. राजद, जदयू, हम के साथ भी उनका सियासी अनुभव रहा है. जबकि कुर्मी जाति से आने वाले आरसीपी सिंह भी नीतीश कुमार से बगावत कर बैठे हैं.

सभी दलों की नुरा-कुश्ती जारी

बता दें कि जदयू और भाजपा अलग हुई तो कुढ़नी उपचुनाव में जदयू के कुशवाहा बिरादरी से आने वाले उम्मीदवार को हराने के बाद भाजपा ने एक अलग संदेश देने की कोशिश की थी. वहीं सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने जो प्रतिक्रिया दी उसमें उन्होंने दावा किया कि कुशवाहा वोट मजबूती से नीतीश कुमार के साथ है. हालाकि आगामी चुनाव के दौरान ही ये तय होगा कि कुशवाहा वोट को साधने में कौन अधिक सफल रहा. फिलहाल सभी दलों की नुरा-कुश्ती जारी है.

Next Article

Exit mobile version