Bihar Election 2020: चुनावी समर में बागियों ने ठोकी ताल तो इन दलों की बढ़ने लगी है टेंशन, कई सीटों पर मुकाबला रोचक

Bihar Assembly Election 2020 Bihar में Chunav की सियासी बिसात पर जीत-दावों के बीच बागियों के तेवर भी देखने लायक हैं. अपने दल से मायूसी मिली तो नेताजी बागी बनकर दूसरे दल में चले गए. कहने का मतलब है चुनावी मौसम में खास पार्टी का जयकारा लगाने वाले नेताजी बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं. पहले जिस दल के लिए पसीने बहाते थे आज उनके खिलाफ ही चुनाव के मैदान में ताल ठोक रहे हैं. मतलब BJP, JDU और RJD के लिए बागी प्रत्याशी नया सिरदर्द बन चुके हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2020 7:50 AM

Bihar Assembly Election 2020 बिहार में चुनाव की सियासी बिसात पर जीत-हार के दावों के बीच बागियों के तेवर भी देखने लायक हैं. अपने दल से मायूसी मिली तो नेताजी बागी बनकर दूसरे दल में चले गए. कहने का मतलब है चुनावी मौसम में खास पार्टी का जयकारा लगाने वाले नेताजी बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं. पहले जिस दल के लिए पसीने बहाते थे आज उनके खिलाफ ही चुनाव के मैदान में ताल ठोक रहे हैं. मतलब बीजेपी, जेडीयू और राजद के लिए बागी प्रत्याशी नई सिरदर्द बन चुके हैं.

बीजेपी में नौ के बाद किसका नंबर है?

चुनाव में बीजेपी के लिए बागी नई मुश्किल बनते दिख रहे हैं. पहले पार्टी ने नौ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया. अब भी बागी दूसरे और तीसरे चरण में बीजेपी को आंखें दिखा रहे हैं. बीजेपी के बागी नेता सासाराम से रामेश्वर चौरसिया, दिनारा से राजेंद्र सिंह, पालीगंज से उषा विद्यार्थी, संदेश से श्वेता सिंह, झाझा से रविंद्र यादव, जहानाबाद से इंदु कश्यप, जमुई से अजय प्रताप से लेकर अमरपुर से मृणाल शेखर चुनावी मैदान में डटे हैं. कई बागी नेताओं ने दूसरी पार्टी से तो कई नेता निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरे हैं.

नेताओं के बागी होने का कारण क्या है?

बड़हरा से पूर्व विधायक आशा देवी तो बीजेपी नेता और लोकप्रिय गायक भरत शर्मा निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. मखदुमपुर (सु), शाहपुर, जगदीशपुर में भी कमोबेश ऐसा ही हाल है. घोसी से राकेश कुमार सिंह मैदान में हैं. हम नेता और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के खिलाफ इमामगंज से कुमारी शोभा सिन्हा चुनाव लड़ रही हैं. वजीरगंज, रजौली (सु), नवादा, गोविंदपुर में भी बागी मैदान में हैं. पिछली बार बीजेपी 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इस बार 110 सीटों पर लड़ने के कारण कई को टिकट नहीं मिला है.

जेडीयू के लिए भी बागी बने हैं मुसीबत

जेडीयू के लिए भी बागी मुसीबत बनते दिख रहे हैं. डुमरांव से ददन सिंह पहलवान निर्दलीय मैदान में हैं. जबकि, डॉ. राकेश रंजन, पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा भी बगावत पर उतर गए. गोह और सिकंदरा से भी जेडीयू के कद्दावर नेता रहे रामेश्वर पासवान, डॉ. रणविजय सिंह पार्टी को चुनौती पेश कर रहे हैं. जमुई विधानसभा सीट पर जेडीयू से बागी नेताओं ने पार्टी के खिलाफ चुनौती पेश कर दी है. शिवशंकर चौधरी और पूर्व विधायक सुमित सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत का ऐलान कर दिया है.

बीजेपी, जेडीयू के बाद मुश्किल में राजद

बागियों ने बीजेपी, जेडीयू के साथ राजद की बेचैनी भी बढ़ा दी है. राजद को छोड़ जदयू में आए चंद्रिका राय, प्रेमा चौधरी, जयवर्धन यादव, महेश्वर यादव, फराज फातमी, अशोक कुमार से पार्टी को झटका लगा है. दूसरी तरफ संजय प्रसाद, पूर्व विधायक विजेंदर यादव जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. गरखा के सिटिंग विधायक मुनेश्वर चौधरी जाप में जा चुके हैं. फुलवारी शरीफ, बनमनखी, शिवहर में भी राजद को पुराने नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है. कई नेताओं को तो दूसरी पार्टी से टिकट भी मिल चुका है.

Posted : Abhishek.

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