Bihar news: महंगाई के मारे ‘आम नागरिक बेचारे’, बोले- आखिर खर्च मैनेज करने की भी है एक सीमा

महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. पेट्रोल-डीजल, तेल-दाल से लेकर रसोई गैस तक सबकुछ महंगा हो गया है. (Inflation in bihar) इसके अलावा रसौई गैस की कीमतों में भी बढ़ोतरी की गई है. दूध हो या फिर सब्जी रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बेतहाशा बढ़ती जा रही है.

By Prabhat Khabar | August 6, 2022 10:32 AM

भागलपुर: महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. खाने-पीने के सामान से लेकर बच्चों की बढ़ी स्कूल फीस से सभी परेशान हैं. रोज कमाने-खाने वाले मजदूर, मध्यमवर्गीय परिवार या घर से बाहर रह कर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी तक परेशान हैं. मध्यमवर्गीय चार सदस्यों के परिवार में पति-पत्नी, उनके दो बच्चे और माता-पिता साथ रहते हों, उनका मासिक खर्च पिछले साल की अपेक्षा इस साल 2500 से 3000 रुपये तक बढ़ गया है, वह भी सिर्फ किराना व स्कूल फीस मद में. अन्य खर्च को जोड़ दें, तो हर परिवार पर मासिक लगभग तीन हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ा है.

‘किसी तरह गुजर-बसर कर रहे’

आदमपुर आजादनगर के कार्तिक मंडल व बबीता देवी के तीन बच्चे हैं. मां साथ रहती है. कार्तिक दुकान में काम करते हैं. सात हजार रुपये मिलते हैं. पहले किसी तरह घर का खर्च निकल जाता था. अब खर्च पूरा नहीं हो पा रहा है. पत्नी बबीता देवी सिलाई-कढ़ाई करके 3000 रुपये कमा लेती है, इससे 10 हजार रुपये तक हो जाते हैं. अब घर का किसी तरह चलता है. दो बेटी और एक बेटा है, जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. उन्हें फीस तो नहीं लगती, लेकिन किताब-कॉपी के लिए पैसा देना पड़ता है.

कॉपी व कलम पर खर्च 200 से बढ़ कर 300 रुपये हो गया है. सिलिंडर पर प्रतिमाह 400 से 500 रुपये खर्च बढ़ गया है. पहले राशन पर 3000 रुपये प्रतिमाह खर्च होता था, अब 4500 रुपये लग रहा है. मकान किराया 1000 से बढ़ कर 1500 रुपये हो गया है. दूध व फल तो किसी त्योहार में ले पाते हैं. किसी तरह घर चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि आखिर क्या-क्या मैनेज किया जाये. खर्च के मैनेज करने की भी तो आखिर एक सीमा है.

‘हाथ में कुछ नहीं बच पाता’

राधा रानी सिन्हा रोड के सुशांत कुमार सिंह एक निजी कंपनी में जॉब करते हैं. उनका कहना है कि महंगाई ने परेशान कर दिया है. 18000 से 20000 रुपये तक की आय से किसी तरह घर चल पाता है. हर माह रसोई के सामान में 4000 रुपये लगते थे. अब 7000 रुपये से अधिक खर्च आने लगे हैं. एक बाइक है, जिस पर प्रतिमाह 1000 रुपये खर्च करते थे. अब 1500 रुपये खर्च हो रहा है. मकान किराया 4000 से बढ़ कर 5000 रुपये हो गया है. अतिरिक्त खर्च भी 2000 से बढ़ कर 3000 रुपये हो गया है. पहले कुछ सेविंग कर लेते थे, लेकिन अब कुछ नहीं बचता है. पहले घर में अतिथि आते थे, तो खुशी होती थी. अब बोझ लगने लगे हैं.

‘आखिर खर्च मैनेज करने की भी तो है एक सीमा’

किराना कारोबारी ओमप्रकाश कानोडिया ने बताया कि लगातार पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ने व खाद्यान्न पर जीएसटी लगने से महंगाई की मार लोगों पर पड़ रही है. अब जिले में सुखाड़ व बाढ़ दोनों का दंश लोगों को झेलना पड़ रहा है. यूक्रेन व अन्य निर्यातक देशों में युद्ध संकट से रिफाइन की कीमत में गिरावट नहीं हुई. वहीं, महंगाई से परेशान निम्नमध्यमवर्गीय परिवार के लोगों ने कहा कि क्या-क्या करें मैनेज, आखिर खर्च मैनेज करने की भी तो एक सीमा है.

एक नजर इधर भी

खाद्यान्न एक साल पहले वर्तमान भाव

  • आटा 26 से 28 32 से “36

  • चावल मोटा 25 से 29 35 से “38

  • चावल छोटा 40 -45 50

  • चूड़ा मोटा 30 40

  • चना दाल 60 70

  • अरहर दाल 80 से 90 110 से 115

  • मूंग दाल 80-100 से 105

  • सरसों तेल 90 से 110 लीटर 160 लीटर

  • रिफाइन 90 लीटर 160 लीटर

  • नोट:- सभी भाव खुदरा किराना दुकान से प्रति किलो में है.

लोगों के घरों का बजट बिगड़ा 

खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से लोग परेशान हैं. पिछले कुछ समय में सरसों तेल, रिफाइंड, चना दाल, अरहर दाल, मूंग दाल समेत अन्य खाद्य सामग्रियों के दामों में काफी उछाल आया है. इससे सबसे अधिक परेशानी मध्यमवर्गीय और गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को हो रही है. घर का बजट गड़बड़ा रहा है.

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