भागलपुर में छिपे हो सकते हैं आंतकी व नक्सली !

भागलपुर : भागलपुर के लॉजों में आतंकी छिपे हो सकते हैं. शहर के करीब 500 लॉजों में रह रहे सवा लाख बाहरी विद्यार्थियों का पुलिस के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है. ताज्जुब की बात यह है कि पुलिस के पास सभी लॉजों की सूची तक नहीं है. ऐसे में आतंकी इसका फायदा उठा सकते हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 22, 2014 2:37 AM

भागलपुर : भागलपुर के लॉजों में आतंकी छिपे हो सकते हैं. शहर के करीब 500 लॉजों में रह रहे सवा लाख बाहरी विद्यार्थियों का पुलिस के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है. ताज्जुब की बात यह है कि पुलिस के पास सभी लॉजों की सूची तक नहीं है. ऐसे में आतंकी इसका फायदा उठा सकते हैं. आदमपुर थाना क्षेत्र के दीप प्रभा के सामने दिलीप बिंद के मकान में डेटोनेटर मिलने के बाद भी पुलिस हरकत में नहीं आयी. यहां के लॉजों में हर दिन नये विद्यार्थी आ रहे हैं और जा रहे हैं. लेकिन कौन विद्यार्थी का क्या इतिहास रहा है, इसे पता करने की कोशिश भी कभी भागलपुर पुलिस ने नहीं की. जबकि अपराध पर अंकुश लगाने के लिए किरायेदारों का पुलिस सत्यापन आवश्यक है. गृह मंत्रलय ने इस दिशा में विशेष गाइड लाइन जारी किया है. पटना ब्लास्ट के बाद इसे और भी सख्ती से लागू करने का निर्देश डीजीपी ने दिया है. लेकिन भागलपुर पुलिस के पास शहर के किरायेदारों की भी सूची उपलब्ध नहीं है.

मकान-मालिक का है दायित्व

मकान-मालिक का यह दायित्व है कि उनके यहां आने वाले हर नये किरायेदार की सूची संबंधित थाने को दे. सूचना के साथ-साथ किरायेदार का फोटो, उचित पहचान-पत्र आदि भी संलग्न करे, ताकि उसका सत्यापन पुलिस कर सके. शहर में चल रहे एक भी लॉज का पुलिस या जिला प्रशासन के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है.

भागलपुर का आतंकी कनेक्शन

2009 के लोकसभा चुनाव में आतंकवादियों ने भागलपुर में चुनावी दौरे पर आने वाले शीर्ष राजनेताओं की हत्या की चेतावनी दी थी.दिल्ली बम कांड के आरोपी लगातार कई दिनों तक शाहकुंड में रहे. घटना के उक्त आतंकी ने शाहकुंड के गांव में शेल्टर लिया था.सात पाकिस्तानी नागरिक, जिनका पासपोर्ट भागलपुर से बना था, वे भी कजरैली में आकर भूमिगत हो गये थे. इन सातों को संदिग्ध आतंकी बताया गया था. अबतक इन सातों पाक नागरिकों का पता नहीं चल पाया है.

क्या है डेटोनेटर

डेटोनेटर एक प्रकार का एक्सप्लोसिव होता है. इसका उपयोग विस्फोट डिवाइस को ट्रिगर करने के लिए होता है. यह एक रासानियक संयंत्र है, जिसको डीसी लाइन से जोड़ कर विस्फोट कराया जाता है. इससे लंबा तार जुड़ा रहता है. पत्थर तोड़ने, कुआं निर्माण में डेटोनेटर का भरपूर उपयोग होता है. डेटोनेटर से जिलेटिन को जोड़ कर विस्फोट कराया जाता है. झारखंड के गोमिया (बोकारो) और पूवरेत्तर भारत के असम में इसकी फैक्टरी है. आजकल डेटोनेटर का उपयोग नक्सली भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. झारखंड के कई हिस्से में छापेमारी कर पुलिस अक्सर जिलेटिन और डेटोनेटर बरामद करती रहती है. नक्सली पुल-पुलिया उड़ाने, लैंड माइंस ब्लास्ट में डेटोनेटर का उपयोग करती है. कैन बम लगा कर उसे उड़ाने के ट्रिगर के रूप में डेटोनेटर का ही सहारा लिया जाता है.

Next Article

Exit mobile version