बूढ़े पुलिस अफसरों से कैसे होगा क्राइम कंट्रोल

भागलपुर : शहर का अति महत्वपूर्ण तिलकामांझी थाना बूढ़े पुलिस अफसरों के भरोसे चल रहा है. थाने में काम करने वाले अफसरों का टोटा पड़ा है. इस कारण लगातार आपराधिक वारदातें हो रही है और उसका खुलासा नहीं हो पा रहा है. थानाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह को छोड़ दिया जाये तो थाने के ज्यादातर अफसरों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 30, 2014 8:52 AM

भागलपुर : शहर का अति महत्वपूर्ण तिलकामांझी थाना बूढ़े पुलिस अफसरों के भरोसे चल रहा है. थाने में काम करने वाले अफसरों का टोटा पड़ा है. इस कारण लगातार आपराधिक वारदातें हो रही है और उसका खुलासा नहीं हो पा रहा है.

थानाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह को छोड़ दिया जाये तो थाने के ज्यादातर अफसरों की उम्र 45-50 वर्ष के पार है. थाने में थानाध्यक्ष समेत तीन दारोगा व पांच जमादार पदस्थापित हैं. लेकिन उम्रदराज अफसरों को लगातार काम करने में परेशानी होती है.

थाने का एरिया काफी बड़ा
थाना क्षेत्र में जिस तरह आपराधिक वारदातें हो रही है, उस अनुपात में नये बैच के अफसरों को यहां पदस्थापित किया जाना चाहिए. लेकिन थानाध्यक्ष को छोड़ थाने में एक भी अफसर 2009 बैच का नहीं है. स्पेशल रिपोर्ट केस (एसआर केस) का अनुसंधान थानाध्यक्ष स्वयं करते हैं. थाने का एरिया भी बड़ा है. एरिया के अनुपात में अफसर पदस्थापित नहीं है. इस कारण वारदातों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. उम्र दराज अफसरों के भरोसे क्राइम कंट्रोल संभव नहीं है.

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