हड़बड़ी में नहीं, निर्णय लेने में लगे हैं दो महीने 10 दिन : कमिश्नर

भागलपुर : भागलपुर स्मार्ट सिटी बोर्ड के अध्यक्ष सह प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार ने कहा कि टेंडर रद्द कर सरकार से जांच कराने का निर्णय हड़बड़ी में नहीं लिया गया है. इसमें दो महीने 10 का समय लगा है. वे खुद इंजीनियर हैं. उन्हें मालूम है क्यूसीबीएस क्या होता है. कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2019 7:35 AM
भागलपुर : भागलपुर स्मार्ट सिटी बोर्ड के अध्यक्ष सह प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार ने कहा कि टेंडर रद्द कर सरकार से जांच कराने का निर्णय हड़बड़ी में नहीं लिया गया है. इसमें दो महीने 10 का समय लगा है. वे खुद इंजीनियर हैं. उन्हें मालूम है क्यूसीबीएस क्या होता है.
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को अच्छी तरह से जानते हैं. उन्होंने बताया कि सारे रिकॉर्ड को सील कर जांच करने सरकार को भेज रहे हैं. निगरानी से भी जांच करायेंगे. वैसे भी सारे निर्णय पर सीइओ सह नगर आयुक्त का भी हस्ताक्षर है.
उन्हें यह बताना चाहिए कि गत 24 दिसंबर को नगर विकास एवं आवास विभाग ने टेंडर पर मना क्यों कर दिया था. टेंडर में 72 करोड़ ज्यादा की राशि का उल्लेख किया गया है.
पूरे मामले से सरकार को मौखिक जानकारी भी दे दी गयी थी. जहां तक इंटरफेयर की बात है, तो उन्होंने खुद से कोई फाइल नहीं मंगवायी है. यह तो नियम ही है कि सीइओ गलत करेंगे, तो अध्यक्ष देखेंगे. अध्यक्ष गड़बड़ करेंगे, तो सरकार देखेगी. जांच से पहले दंडित करने की बात पर प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि पीडीएमसी के लोग सरकारी कर्मी नहीं हैं, जो उन्हें दंडित करने से पहले शो-कॉज करें, जांच करें.

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