गंगा के प्रतिबंधित क्षेत्र में खुलेआम हो रही शिकारमाही, कोई देखनेवाला नहीं

भागलपुर: गंगा के प्रतिबंधित क्षेत्र में बेखौफ होकर मछुआरे मछली पकड़ रहे हैं. छोटे जाल गंगा में डाले जा रहे हैं और डॉल्फिन के आहार उनसे छीने जा रहे हैं. यह काम रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन के उजाले में बिना डर-भय के हो रहा है. रविवार की दोपहर विक्रमशिला सेतु से कुछ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2017 12:45 PM
भागलपुर: गंगा के प्रतिबंधित क्षेत्र में बेखौफ होकर मछुआरे मछली पकड़ रहे हैं. छोटे जाल गंगा में डाले जा रहे हैं और डॉल्फिन के आहार उनसे छीने जा रहे हैं. यह काम रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन के उजाले में बिना डर-भय के हो रहा है. रविवार की दोपहर विक्रमशिला सेतु से कुछ ही दूरी पर गंगा की मुख्य धारा में कई मछुआरे दो नावों पर सवार होकर कई जाल गंगा में डाल रहे थे और मछली पकड़ रहे थे.

सुलतानगंज से कहलगांव तक गंगा में डॉल्फिन पाया जाता है. इस क्षेत्र में ऐसा कोई भी काम करने की सख्त मनाही है, जिससे कि डॉल्फिन पर संकट उत्पन्न हो जाये. वन विभाग को डॉल्फिन के रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसमें इस बात का ख्याल रखना है कि गंगा में डॉल्फिन की संख्या कम नहीं हो. लेकिन गंगा में पेट्रोलिंग नहीं होती.

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक प्रो इकबाल अहमद ने बताया कि गांगेटिक डॉल्फिन विलुप्त होने के कगार पर है. दो-तीन साल में यह एक ही बच्चा देती है. यह अपने आहार को अल्ट्रासोनिक साउंड से पकड़ते हैं. यह मांसाहारी होता है. छोटी मछलियां इसका आहार होती है. छोटी मछलियां निकाल लेने से इसे बचा पाना मुश्किल हो जायेगा. भारत सरकार ने वर्ष 2009 में इसे नेशनल एक्वेटिक एनिमल घोषित किया है. डॉल्फिन पर टीएमबीयू के प्रो एसके चौधरी व पटना विवि के डॉल्फिन मैन प्रो आरके सिन्हा काफी रिसर्च किये हैं.
समय-समय पर हमलोग गंगा में निरीक्षण करते हैं. कई बार मच्छरदानी वाला जाल और अन्य जाल हमलोग पकड़ चुके हैं. आगे भी इस दिशा में अभियान चलाया जायेगा.
बीके सिंह, रेंज ऑफिसर, वन विभाग
31 अक्तूबर को जाल में फंसी थी डीएम की बोट
पिछले वर्ष 31 अक्तूबर को छठ घाट का निरीक्षण करने एसडीआरएफ की बोट से जिलाधिकारी निकले थे. इसमें तकरीबन 13 जगहों पर बोट की पंखी में जाल उलझ गयी थी और पंखी घूमना बंद हो गयी थी. बार-बार गंगा में जाल मिलता हुआ देख जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारी की क्लास ली थी.

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