साढ़े छह लाख के मादक पदार्थों के साथ तीन धंधेबाज गिरफ्तार

गढ़हरा थाने की पुलिस एवं एसटीएफ ने गुप्त सूचना के आधार पर एवं तकनीकी टीम की मदद से संयुक्त कार्रवाई में हेरोइन जैसा मादक पदार्थ के साथ तीन धंधेबाज को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है.

By MANISH KUMAR | December 11, 2025 10:05 PM

बरौनी. गढ़हरा थाने की पुलिस एवं एसटीएफ ने गुप्त सूचना के आधार पर एवं तकनीकी टीम की मदद से संयुक्त कार्रवाई में हेरोइन जैसा मादक पदार्थ के साथ तीन धंधेबाज को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है. इस संबंध में गढ़हरा थानाध्यक्ष गौतम कुमार ने बताया कि एसपी बेगूसराय के निर्देश पर सूखा नशा पर पाबंदी के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है. इसी क्रम में गुरुवार की अहले सुबह गुप्त सूचना के आधार पर थानाक्षेत्र के न्यू बरौनी स्टेशन के पास से एसटीएफ एवं थाना पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल के सहयोग से लगभग 89.67 ग्राम सात सोप पैकेट में हिरोइन जैसा मादक पदार्थ, दो स्मार्ट मोबाइल, ट्रेन टिकट एवं लगभग बाइस सौ रूपया नगद के साथ वैशाली जिला डोबर कोठी निवासी शातिर धंधेबाज सोनू कुमार, अविनाश कुमार एवं बखरी सुपेन निवासी राम प्रये तीनो राज पाकर थानाक्षेत्र निवासी को गिरफ्तार किया गया. तीनों धंधेबाज ने पूछताछ के दौरान उक्त धंधा में अपनी संलिप्तता स्वीकार किया. गढ़हरा थाना पुलिस पूरे मामले की गहनता से छानबीन कर रही है. वहीं जानकारी के मुताबिक तीनों धंधेबाज हिरोइन जैसा महंगा मादक पदार्थ जिसकी अनुमानित कीमत लगभग साढ़े छह लाख आंकी जा रही है को सप्लाई देने के लिए आया था. इसी दौरान गुप्त सूचना के आधार पर एसटीएफ एवं तकनीकी टीम के सहयोग से तीनों धंधेबाज को गिरफ्तार कर लिया गया. बताते चलें की इससे पूर्व फुलवड़िया थानाक्षेत्र में एसडीओ तेघड़ा राकेश कुमार, डीएसपी कृष्ण कुमार, फरौनी नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी रणवीर कुमार के निर्देश पर थानाध्यक्ष फुलवड़िया विजय सहनी ने कोलबोर्ड काॅलेज रोड स्थित शिवा होटल से दो धंधेबाज को इसी तरह के मादक पदार्थ के साथ गिरफ्तार किया था. जानकार बताते हैं कि हेरोइन एक अवैध, अत्यधिक नशीले पदार्थ से निर्मित एक मादक पदार्थ है जो मॉर्फिन से प्राप्त होता है. मॉर्फिन एक प्राकृतिक पदार्थ है जो कुछ प्रकार के अफीम के पौधों की फलियों से निकाला जाता है. इसे आमतौर पर सफेद या भूरे रंग के पाउडर के रूप में बेचा जाता है जिसे चीनी, स्टार्च, दूध पाउडर या कुनैन के साथ काटा जाता है. इसे खतरनाक सुखा नशा माना जाता है. शराबबंदी कानून के बाद लगभग 14 वर्ष से 25 वर्ष के बच्चों के बीच सूखा नशा तेजी से पांव पसार रहा है जो बच्चों के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है. सरकार और स्थानीय प्रशासन को इसकी रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है.

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