मांगों को लेकर किसान व मजदूर संगठनों ने समाहरणालय पर दिया धरना

नया चार श्रम संहिता की वापसी,एमएसपी के तहत सीटू प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार किसानों के उपज की गारंटी खरीद के लिए कानून बनाने, किसान मजदूरों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना कार्यान्वित करने तथा बिजली बिल 2025, बीज विधेयक 2025, कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति का ढांचा एनपीएफएएम और राष्ट्रीय सहकारिता नीति को निरस्त करने के लिए राष्ट्र व्यापी विरोध कार्रवाई के तहत संयुक्त किसान मोर्चा-केन्द्रीय श्रमिक संगठनों एवं खेतिहर मजदूर संगठनों के द्वारा समाहरणालय के दक्षिण द्वार पर धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया.

By MANISH KUMAR | November 26, 2025 9:12 PM

बेगूसराय. नया चार श्रम संहिता की वापसी,एमएसपी के तहत सीटू प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार किसानों के उपज की गारंटी खरीद के लिए कानून बनाने, किसान मजदूरों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना कार्यान्वित करने तथा बिजली बिल 2025, बीज विधेयक 2025, कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति का ढांचा एनपीएफएएम और राष्ट्रीय सहकारिता नीति को निरस्त करने के लिए राष्ट्र व्यापी विरोध कार्रवाई के तहत संयुक्त किसान मोर्चा-केन्द्रीय श्रमिक संगठनों एवं खेतिहर मजदूर संगठनों के द्वारा समाहरणालय के दक्षिण द्वार पर धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया.धरना प्रदर्शन का बिहार राज्य किसान सभा के जिला सचिव दिनेश सिंह, बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष रामविलास सिंह और खेग्रामस नेता राजेश श्रीवास्तव की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडली की अध्यक्षता की. धरना के बाद जिला समाहर्ता बेगूसराय के माध्यम से भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया. साथ ही कुछ स्थानीय समस्याओं के मद्देनजर मांग पत्र जिला अधिकारी को दिया गया.इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण पर रोक, उर्वरक सब्सिडी चौरासी हजार करोड़ रुपए कम दिया गया है जो किसानों पर क्रुर हमला है. इसलिए पुनः अविलंब 84000 करोड़ रुपए का उर्वरक सब्सिडी देने और सभी फसलों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की व्यापक फसल बीमा योजना लागू करने, नियत अवधि पर रोजगार योजना एवं आउटसोर्स, ठेका प्रथा पर रोक लगाने व योजना कर्मियों को नियमित करने, मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन काम और 700 रुपये प्रतिदिन मजदूरी सुनिश्चित करने, समुचित जल प्रबंधन के जरिए बाढ़, सुखार एवं जल-जमाव की समस्या का स्थायी समाधान, राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26,000 प्रतिमाह घोषित करने, जनता पर बुलडोजर राज की नीति पर रोक लगाने ,पहले पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना घरों या दुकानों को तोड़ना बंद करने, स्थानीय मांगों में बिहार में एपीएमसी अधिनियम को पुनः बहाल करने और कृषि मंडी को चालू करने, सभी भूमिहीनों को वास के लिए 10 डिसमिल जमीन मुहैया करने विस्थापितों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था करने,बेगूसराय जिला में स्थापित कर कारखाने में स्थानीय कामगारों की बहाली करने, बाढ़ के बाद रचियाही समेत बेगूसराय जिला में मवेशियों की अज्ञात संक्रामक बिमारी के कारण हो रहे मृत्यु की जांचकर इस समस्या का निदान हेतु त्वरित उपाय करने,जिला में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार पर रोक तथा खाद – बीज की कालाबाजारी पर अविलम्ब रोक लगाने आदि मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद किया.इस अवसर पर एटक जिला महासचिव प्रह्लाद सिंह, एक्टयू जिला सचिव चंद्रदेव वर्मा, सीटू नेता रामविनय सिंह व रामबालक सहनी, बिहार राज्य किसान सभा जिला कौंसिल के सचिव दयानिधि चौधरी, उपाध्यक्ष मोहम्मद अली, किसान महासभा के रामानुज सिंह , किसान सभा के अशोक राय, बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के संयुक्त सचिव सूर्य नारायण रजक, कौशल किशोर चौधरी, एटक नेता जुलुम सिंह, खेग्रामस के गौरी पासवान, गजेन्द्र पंडित आदि ने संबोधित किया.

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