बछवाड़ा जंक्शन पर लंबी दूरी की ट्रेनों के नहीं रुकने से पसरा रहता है सन्नाटा

बछवाड़ा रेलवे जंक्शन को सौंदयीकरण को लेकर विभाग ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन रेलवे की ये कवायद यात्रियों के काम नहीं आ रही है.

By MANISH KUMAR | November 7, 2025 9:09 PM

बछवाड़ा. बछवाड़ा रेलवे जंक्शन को सौंदयीकरण को लेकर विभाग ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन रेलवे की ये कवायद यात्रियों के काम नहीं आ रही है. तीन साल पूर्व इस स्टेशन को लाखो रुपये खर्च कर सौंदयीकरण के साथ साथ दो नए प्लेटफार्म का निर्माण किया गया, जिसके बाद अब बछवाड़ा में पांच प्लेटफार्म हैं. फिर भी इस जंक्शन पर सन्नाटा पसरा रहता है. क्यांकि यहां कई एक्सप्रेस ट्रेनें आज भी नहीं रुकतीं है. यहां के लोगों को नजदीकी रेलवे स्टेशन बरौनी या फिर दलसिंहसराय या फिर समस्तीपुर जाकर लंबी दूरी की ट्रेनें पकड़नी पड़ती हैं. जबकि बछवाड़ा जंक्शन एक लिंक जंक्शन है. यहां से हाजीपुर और समस्तीपुर दोनों जगह के यात्री ट्रेन बदलने के लिए उतरते है. स्थानीय निवासी कुमार रूपेश यादव,उमेश कुंवर कवि,विजय शंकर दास,लालबहादुर यादव, अशोक यादव,हरिनंदन यादव आदि ने बताया कि बछवाड़ा रेलवे जंक्शन पर बलिया सियादह,अवध असम,लालगढ़ गोहाटी,वैशाली, आम्रपाली,गंगा सागर एक्सप्रेस,पूर्वांचल,नॉर्थ ईस्ट,सीमांचल,बरौनी ग्वालियर,बरौनी-अहमदाबाद, मैथली, पुरविया,बरौनी गोंदिया,अमरनाथ एक्सप्रेस,लोहित एक्सप्रेस आदि जैसी लंबी दूरी की ट्रेनों की आज भी दरकार है. ये ट्रेन यहां से गुजरती तो हैं, लेकिन रुकतीं नहीं. अगर ये ट्रेनें यहां रुकने लगें तो लोगों को दूसरे स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने के लिए जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

मुंगेर जाने के लिए यहां के यात्रियों को जाना पड़ता है तिलरथ

ग्रामीणों का कहना है कि यहां के लोगो को मुंगेर आने जाने का कोई न कोई काम हमेशा लगा रहता है. यहां के लोगो को मुंगेर जाने के लिए यात्रियों को यहां से तिलरथ स्टेशन जाना पड़ता है. यहां के ग्रामीण तिलरथ स्टेशन के बजाय सवारी गाड़ी को बछवाड़ा से खोलने की मांग कई वर्षो से कर रहे. रेल के जीएम एवं डीआरएम के द्वारा जब जब बछवाड़ा स्टेशन का निरीक्षण किया गया है तब तब स्थानीय लोगो के द्वारा मांग किया जाता है कि एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव होना चाहिए. लेकिन आज तक विभाग से कोई सुनवाई नहीं हुई.

यात्रियों के लिए उपलब्ध सुविधाएं

बछवाड़ा जंक्शन के दो नए प्लेटफॉर्म संख्या एक और दो पर बुजुर्ग, बीमार व दिव्यांगजनों की आसान आवाजाही को लेकर या भारी सामान लाने और ले जाने के लिए के लिए दो रैम्प का निर्माण किया गया है. जो प्लेटफोर्म से उपरी सीढ़ी को जोड़ता है. वहीं प्लेटफॉर्म संख्या एक पर यात्रियों की सुविधा के लिए जीआरपी थाना,आरपीएफ पोस्ट का निर्माण किया गया है. वही तीन चापाकल, दो पेयजल,एक बड़ा शेड, बारह छोटे छोटे सेड बैठने के लिए और खाने पीने का एक स्टॉल लगाया गया है. वही प्लेटफोर्म संख्या दो और तीन पर दो चापाकल,एक पेयजल,एक शौचालय,दो बड़ा शेड,आठ छोटे छोटे शेड बैठने का शेड और एक खाने पीने का स्टॉल लगाया गया है. लेकिन प्लेटफोर्म संख्या चार और पांच पर एक बड़ा शेड,छह छोटा सेड,एक स्टॉल और दो चापाकल जिसमे एक दो चापाकल ख़राब ही रहता है.

चार लाख से अधिक आबादी होती है बछवाड़ा जंक्शन से लाभांवित

पुर्व मध्य रेलवे के सोनपुर मंडल अंतर्गत यह बछवाड़ा जंक्शन से सीधे तौर पर चार लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होती हैं. जिसमें बछवाड़ा प्रखंड के रसीदपुर, चिरंजीवीपुर, फतेहा, गोविन्दपुर तीन, रानी एक, रानी दो, रानी तीन, गोधना, अरवा, भीखमचक, बहरामपुर, कादराबाद, रूदौली घनी आबादी वाले दियारा के पांच पंचायत क्रमशः दादुपुर, विशनपुर, चमथा एक चमथा दो, चमथा तीन समेत अठारह पंचायत के अलावे मंसूरचक प्रखंड के आठ पंचायत के लोग लाभान्वित होते हैं. साथ हीं भगवानपुर प्रखंड का अधिकांश भाग व समस्तीपुर जिला अंतर्गत विद्यापतिनगर क्षेत्र के शेरपुर दियारा समेत इस प्रखंड की अधिकांश आबादी महत्वपूर्ण ट्रेनों से यात्रा करने लिए बछवाड़ा जंक्शन पर हीं आते हैं. मगर लोगों के जरूरतों के हिसाब से देखा जाए तो कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेस एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव दिया जाना नितांत आवश्यक है.

जंक्शन पर रेलकर्मियों की भी है कमी

स्थानीय लोगो का कहना है कि बछवाड़ा जंक्शन का पश्चिमी सहायक टिकट काउंटर करीब दो वर्षों से अधिक समय से बंद है. ऐसे में यात्रियों को टिकट के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. बछवाड़ा जंक्शन के एक नंबर प्लेटफॉर्म पर एक ही टिकट काउंटर है, जो वर्तमान में चालू हालत में है. लोकल ट्रेनों में सफर का टिकट लेने के लिए यहां रोज यात्रियों की लंबी कतार लगती है. ट्रेन के आने पर कुछ यात्री टिकट लेने से वंचित भी रह जाते हैं या जल्दबाजी में दुर्घटना का शिकार होने का भय बना रहता है. रेल वाणिज्य अधीक्षक ने बताया कि बछवाड़ा जंक्शन पर रेलकर्मियों की कमी है. इस कारण ओबी टिकट काउंटर बंद रहता है.

पांच प्लेटफॉर्म पर एक ही शौचालय

बछवाड़ा जंक्शन पर पांच प्लेटफॉर्म बनाए गए है लेकिन एक नंबर प्लेटफॉर्म एवं चार और पांच नंबर प्लेटफॉर्म पर एक भी शौचालय नहीं है. जबकि की सबसे ज्यादा ट्रेन एक नंबर प्लेटफॉर्म पर रुकती है. जिस कारण यात्रियों का भीड़ सबसे ज्यादा एक नंबर पर ही रहती है.अगर किसी यात्रियों को शौचालय जाने की नौबत आ जाय तो काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.प्लेटफॉर्म संख्या दो और तीन पर एक शौचालय बनाया गया. सारी सुविधा के बाद भी गंदगी का अंबार लगा रहता है. जिस कारण यात्री उसमे जाने से परहेज करते है.

बछवाड़ा जंक्शन से सालाना रेलवे को ढाई करोड़ रुपये की होती है आमदनी

बछवाड़ा रेलवे जंक्शन पर महत्वपूर्ण एक्सप्रेस, मेल एक्सप्रेस के ठहराव व यात्रियों के सुविधा में इजाफा किए जाने की मांग निराधार नहीं है. इसका एक मजबूत आधार भी है, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो यहां से रेल विभाग को सालाना लगभग ढाई करोड़ों रुपए आमदनी होती है. जिसमें आरक्षण टिकट से लगभग 67 लाख 50 हजार रुपए सालाना और अनारक्षित टिकट से 2 करोड़ 70 लाख रुपए राजस्व की उगाही होती है. क्यों कि बछवाड़ा रेलवे जंक्शन से प्रतिमाह प्राप्त होने वाले औसत आमदनी पर गौर किया जाए तो साधारण टिकट से 22 लाख 50 हजार रुपए की राजस्व की प्राप्ति होती है. वहीं आरक्षण टिकट से 5 लाख 62 हजार 500 रुपए की उगाही होती है. उल्लेखनीय है कि बछवाड़ा जंक्शन से यात्रा प्रारंभ करने वाले यात्रियों को बड़े महानगरों में जाने के लिए समस्तीपुर अथवा बरौनी जाना पड़ता है. अगर अपेक्षित ट्रेनों का ठहराव बछवाड़ा जंक्शन पर दे दिया जाए तो बछवाड़ा से गन्तव्य महानगरों का टिकट यहां से प्राप्त कर सकेंगे.

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