आज का समय, चुनौतियां व समाधान विषय पर हुई गोष्ठी
आज का समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि समाज अपने महापुरुषों, मनीषियों और सच्चे समाजसेवियों को भूलता जा रहा है.
नावकोठी. आज का समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि समाज अपने महापुरुषों, मनीषियों और सच्चे समाजसेवियों को भूलता जा रहा है. गांधी, नेहरू, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसी महान हस्तियों तथा साहित्य जगत के शरत चंद्र और प्रेमचंद जैसे साहित्यकारों की रचनाओं को योजनाबद्ध तरीके से पाठ्यक्रमों से हटाया जा रहा है. यह बातें जन पहल के सूत्रधार एवं पहसारा पश्चिम के पूर्व मुखिया रविंद्र सिंह सिंह ने पहसारा में आयोजित जन गोष्ठी में “आज का समय, चुनौतियां व समाधान” विषय पर अपने विचार रखते हुए कही. उन्होंने कहा कि आज इतिहास को तथ्यों के आधार पर नहीं, बल्कि आस्था और साम्प्रदायिक मनोभावों के आधार पर शिक्षा जगत पर थोपा जा रहा है. प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि प्रजातंत्र का स्वरूप बदलता जा रहा है और आज़ादी के समय के भारत तथा आज के बदलते भारत के बीच आत्मचिंतन की आवश्यकता है. सुभाष सिंह ने कहा कि समाज की आधी आबादी यानी महिलाओं को साथ लेकर चलना होगा. पूंजीवाद की दौड़ में बच्चों और युवाओं को सही दिशा में आगे बढ़ाना आज की बड़ी चुनौती है. अन्याय का साथ न देना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि शिक्षा का पतन हो रहा है और निजी विद्यालय व विश्वविद्यालयों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिससे बच्चों को जोड़कर जागरूक करना आवश्यक है. सुभाष ईश्वर ने कहा कि हम क्या कर रहे हैं, यह हमारे बच्चे देख रहे हैं. आज संवादहीनता का माहौल बन गया है और आज़ादी के दीवानों को भुलाया जा रहा है. युवाओं को जोड़ने व जनता पर विश्वास जताने की आवश्यकता है. जन गोष्ठी की अध्यक्षता जनकवि दीनानाथ सुमित्र ने की तथा संचालन सुधांशु ने किया. मौके पर सुभाष कुमार सिंह, संतोष उमंग, रामाश्रय सिंह, राम पुकार विद्यार्थी, जितेन्द्र कुमार राय, रौशन कुमार, सन्नी कुमार सिंह, मो. सबाब आलम, ऋषि कुमार, विजय कुमार पासवान, कामेश्वर झा, नन्द लाल पंडित, राम उदगार, शंभू सहनी, कपिल देव महतो, लक्ष्मी सहनी, दिलीप कुमार झा सहित दर्जनों प्रमुख लोग उपस्थित थे.
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