अधिकारियों की लापरवाही गृह क्षति अनुदान की राह में सबसे बड़ा रोड़ा

डीएम का आदेश भी बेअसर, सीओ नहीं भेज रहे रिपोर्ट अररिया : ये बात किसी से छुपी नहीं है कि बीते अगस्त में आये सैलाब ने वो तबाही मचायी थी कि जिले के लाखों गरीबों की झोपड़ियां देखते देखते जमींदोज हो गयी थी. इस बर्बादी से जिले के अधिकारी भी पूरी तरह न केवल वाकिफ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2017 4:24 AM

डीएम का आदेश भी बेअसर, सीओ नहीं भेज रहे रिपोर्ट

अररिया : ये बात किसी से छुपी नहीं है कि बीते अगस्त में आये सैलाब ने वो तबाही मचायी थी कि जिले के लाखों गरीबों की झोपड़ियां देखते देखते जमींदोज हो गयी थी. इस बर्बादी से जिले के अधिकारी भी पूरी तरह न केवल वाकिफ हैं. बल्कि सरकारी रिपोर्ट में झोंपड़ी सहित करीब तीन लाख घरों के आंशिक क्षति का अनुमान लगाया गया है. पर विडंबना ये है कि बात अनुमान से आगे नहीं बढ़ पायी है. अपनी झोपड़ियां गंवा देने वाले गरीबों को अब तक गृह क्षति अनुदान नहीं मिल पाया है.
हालात बता रहे हैं कि अंचल स्तरीय अधिकारियों की लापरवाही गृह क्षति अनुदान की राह का रोड़ा बनी हुई हैं. क्योंकि राज्य सरकार गृह क्षति को लेकर कोटि वार सर्वे रिपोर्ट मांग रही है. पर अंचल स्तर से ये रिपोर्ट जिला कार्यालय को भेजी नहीं जा रही है. हैरत में डालने वाली बात ये है कि रिपोर्ट भेजने को लेकर डीएम के स्तर से भेजे गये निर्देश को भी अंचलाधिकारी नजर अंदाज कर रहे हैं. गौरतलब है कि बाढ़ के दौरान कच्चे पक्के मकानों की अनुमानित क्षति की जो रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गयी है उनमें कुल मिला कर लगभग तीन लाख घरों को क्षति पहुंची है. बताया गया कि निर्देशानुसार अंचल स्तर पर गृह क्षति का सर्वे तो हुआ है. पर सर्वे रिपोर्ट जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय नहीं भेजी गयी है. कार्यालय सूत्रों का कहना है कि जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी द्वारा बार-बार स्मारित करने के बावजूद सीओ रिपोर्ट नहीं भेज रहे हैं. जानकार कहते हैं कि प्रखंडों के लिए डीएम द्वारा नामित वरीय प्रभारी भी आवश्यक रुचि नहीं ले रहे हैं. वरना सर्वे रिपोर्ट आने में अनावश्यक विलंब नहीं होता. नतीजा यह है कि न तो रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है. न ही गृह क्षति अनुदान की राशि जिले को मिल रही है.
अनुमानित क्षति
झोपड़ी-1,95,000
कच्चा मकान आंशिक-55,000
पक्का मकान आंशिक-28,000
कुल- 2,78,000
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