अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक जारी, रेस्क्यू की गयीं महिला फुटबॉलर

अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम का गठन 2007 में किया गया था. तालिबान के शासनकाल में महिलाओं को खेल खेलने की स्वीकृति नहीं थी और ऐसा करने को अवज्ञा के रूप देखा जाता था.

By Prabhat Khabar | August 25, 2021 7:14 AM

अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की सदस्यों को मंगलवार को काबुल से निकाला गया. महिला फुटबॉल टीम की सदस्य 75 से अधिक लोगों के उस समूह में शामिल थीं, जिसने मंगलवार को काबुल से विमान में उड़ान भरी. फुटबॉल खिलाड़ियों की वैश्विक यूनियन ‘फिफप्रो’ ने जितना संभव हो उतने खिलाड़ियों, टीम अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों को निकालने में मदद के लिए आॅस्ट्रेलियाई सरकार को धन्यवाद दिया है. अफगानिस्तान से और अधिक लोगों को निकालने का काम जारी है.

यूनियन ने बयान में कहा : ये युवा महिलाएं, खिलाड़ी और कार्यकर्ता दोनों के रूप में खतरे में थी और दुनिया भर में इनके साथियों की ओर से इनकी मदद को आगे आने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धन्यवाद देते हैं. अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम का गठन 2007 में किया गया था. तालिबान के शासनकाल में महिलाओं को खेल खेलने की स्वीकृति नहीं थी और ऐसा करने को अवज्ञा के रूप देखा जाता था. खिलाड़ियों को इस महीने सोशल मीडिया पोस्ट और टीम के साथ उनकी तस्वीरें हटाने को कहा गया था जिससे कि अमेरिका के समर्थन वाली अफगानिस्तानी सरकार के गिरने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई से बचा जा सके. टीम की पूर्व कप्तान खालिदा पोपल ने कहा: पिछले कुछ दिन काफी तनावपूर्ण रहे लेकिन आज हमने महत्वपूर्ण जीत हासिल की है.

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीरीज भी स्थगित

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरीज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी है. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति और साजो सामान व तैयारियों से जुड़े मसलों के कारण यह फैसला किया गया है. अफगानिस्तान को तीन सितंबर से श्रीलंका में पाकिस्तान की मेजबानी करनी थी, लेकिन अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने सोमवार को पाकिस्तान में इस सीरीज का आयोजन करने पर सहमति जतायी थी. लेकिन शाम तक घटनाक्रम बदल गया और एसीबी इस नतीजे पर पहुंचा कि फिलहाल सीरीज को स्थगित करना ही उचित रहेगा, क्योंकि उसके खिलाड़ियों को देश के शासन में बदलाव के कारण तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है.

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