टेनिस स्‍टार सानिया मिर्जा के लिए ऐतिहासिक साल रहा 2015

नयी दिल्ली : सानिया मिर्जा के लिए 2015 उपलब्धियों से भरा रहा जिसमें वह महिला युगल ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी और युगल टेनिस रैंकिंग में शीर्ष तक पहुंची जबकि युकी भांबरी भी नये अवतार में नजर आये. सानिया ने मार्च में स्विटजरलैंड की मार्तिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनायी और दोनों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 22, 2015 2:12 PM

नयी दिल्ली : सानिया मिर्जा के लिए 2015 उपलब्धियों से भरा रहा जिसमें वह महिला युगल ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी और युगल टेनिस रैंकिंग में शीर्ष तक पहुंची जबकि युकी भांबरी भी नये अवतार में नजर आये. सानिया ने मार्च में स्विटजरलैंड की मार्तिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनायी और दोनों का तालमेल गजब का रहा.

देखें तसवीरें :

दोनों ने अपने पहले ही टूर्नामेंट इंडियन वेल्स में खिताब जीता और सत्र के आखिर तक अपना दबदबा कायम कर लिया. चार्ल्सटन में सत्र की लगातार तीसरी जीत दर्ज करने के साथ ही सानिया युगल रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंची और उसे बरकरार रखा. सत्र के आखिर तक दोनों ने नौ खिताब अपने नाम कर लिये जिनमें विम्बलडन, अमेरिकी ओपन और सत्र का आखिरी डब्ल्यूटीए फाइनल्स शामिल है.

दोनों ने साथ में 16 टूर्नामेंट खेला और उनका जीत हार का रिकार्ड 55 – 7 रहा है. टेनिस एकल में भारत को हालांकि उतनी कामयाबी नहीं मिली लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि टेनिस में युगल वर्ग में भी लिएंडर पेस और महेश भूपति के बाद सानिया के रुप में दूसरा चैंपियन पैदा करने में भारत को करीब 15 साल लग गए. सानिया ने 2015 में कुल 10 खिताब जीते जिनमें नौ मार्तिना के साथ और एक अमेरिका की बेथानी माटेक सैंड्स के साथ जीता.
पुरुष टेनिस में दिल्ली के युकी भांबरी ने उम्दा प्रदर्शन किया. वह पहली बार एकल रैंकिंग में शीर्ष 100 में पहुंचे जिससे उन्हें ग्रैंडस्लैम में सीधे प्रवेश मिला. सोमदेव देववर्मन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. पेस ने मार्तिना के साथ तीन मिश्रित युगल खिताब जीतकर उपलब्धियों का सिलसिला जारी रखा.
सातवां ओलंपिक खेलने की दहलीज पर खडे पेस ने कोर्ट से बाहर भी चुनौतियों का सामना किया जब पूर्व जीवनसाथी रिया पिल्लै से उन्हें अपनी बच्ची के संरक्षण के लिये कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. इसके बावजूद टेनिस कोर्ट पर उन्होंने जबर्दस्त प्रदर्शन किया लेकिन पुरुष युगल में उसे दोहरा नहीं सके. अलग अलग जोडीदारों के साथ 26 टूर्नामेंट खेलकर 42 बरस के पेस सिर्फ तीन बार फाइनल तक पहुंचे और एक जीता.
वहीं 15 से अधिक टूर्नामेंटों में दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ सके. एकल में युकी ने जहां अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं सोमदेव लय हासिल करने के लिये जूझते रहे. युकी ने दो चैलेंजर स्तर के एकल खिताब जीते और अपने से बेहतर रैंकिंग वाले खिलाडियों को हराया. वहीं खराब फार्म से जूझ रहे सोमदेव अब रैंकिंग में 180वें स्थान पर है. उम्मीद है कि नये कोच के साथ अगले साल वे बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.

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