खेल रत्न न मिलने से खफा बजरंग पूनिया ने अदालत जाने की धमकी दी, खेल मंत्री से मिलेंगे

नयी दिल्ली : देश के प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार न मिलने से नाराज स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने गुरुवार को सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी. बजरंग ने इस साल गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों और जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किये थे. इस प्रदर्शन के आधार पर उन्हें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2018 7:57 PM

नयी दिल्ली : देश के प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार न मिलने से नाराज स्टार पहलवान बजरंग पूनिया ने गुरुवार को सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी.

बजरंग ने इस साल गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों और जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किये थे. इस प्रदर्शन के आधार पर उन्हें भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा खेल रत्न के लिये नामांकित किया गया था. लेकिन सरकार ने यह पुरस्कार संयुक्त रूप से भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और विश्व चैम्पियन भारोत्तोलक मीराबाई चानू (48 किग्रा) को देने का फैसला किया.

बजरंग इस फैसले से खफा हैं जिन्होंने 2013 विश्व चैम्पियनशिप में भी कांस्य पदक जीता था। अब यह पहलवान कल इस मामले पर बात के लिये कल खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मिलेगा. बजरंग ने यहां पत्रकारों से कहा, मैं सचमुच निराश और हैरान हूं। मैं कल खेल मंत्री से मिलूंगा. मेरे मेंटर योगी भाई (योगेश्वर दत्त) ने उनसे बात की है और मिलने के लिये समय लिया. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि मेरी अनदेखी क्यों की गयी। मैं इसका कारण जानना चाहता हूं.

उन्होंने कहा, अब यह उनके हाथों में है. मैं यह जानना चाहता हूं कि मैं इसका हकदार हूं या नहीं. अगर मैं हकदार हूं तो तभी मुझे यह पुरस्कार दो. यह पूछने पर कि अगर वह खेल मंत्री को अपनी बात से सहमत नहीं कर सके तो क्या वह अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे, इस पर उन्होंने कहा, यह मेरे लिये अंतिम विकल्प होगा. मुझे लगता है कि मैं इस साल इस पुरस्कार का हकदार था, इसलिये ही मैंने इसके लिये नामांकन भेजा था.

बजरंग ने कहा, किसी को भी पुरस्कार के लिये भीख मांगना अच्छा नहीं लगता लेकिन किसी भी खिलाड़ी के लिये यह बड़ा सम्मान है और पहलवान का करियर काफी अनिश्वित होता है. किसी भी समय लगी चोट करियर खत्म कर सकती है.

उन्हें लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में अपने निरंतर अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए वह इस सम्मान के हकदार थे. उन्होंने कहा, मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी कि मुझे इस साल यह पुरस्कार नहीं मिलेगा. पिछले चार साल के मेरे प्रदर्शन को देखिये. पहले कोई अंक प्रणाली नहीं थी लेकिन अब अंक प्रणाली आ गयी है तो मुझे लगता है कि अब संख्यायें मेरे साथ हैं.

बजरंग ने कहा कि खेल रत्न पुरस्कार की अनदेखी करने से उनकी विश्व चैम्पियनशिप की तैयारियों पर बड़ा असर पड़ा है जिसका आयोजन हंगरी के बुडापेस्ट में 20 से 28 अक्तूबर तक किया जायेगा. उन्होंने कहा, इस फैसले से मेरी विश्व चैम्पियनशिप तैयारियों पर प्रभाव पड़ा है. यह मेरे लिये करारा झटका था. यह मेरे लिये मुश्किल समय है. मुझे उम्मीद है कि मुझे अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा और मैं अपनी तैयारियों पर ध्यान लगाऊंगा.

इस पहलवान ने जोर दिया कि उन्हें हर जगह से पूरा समर्थन मिल रहा है लेकिन उन्होंने कहा कि वह इस मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ को बीच में नहीं लायेंगे. उन्होंने कहा, मैंने इस मामले में महासंघ से बात नहीं की.

उन्होंने मेरे नाम को आगे बढ़ाया था जिसका मतलब है कि वे मेरे साथ हैं. लेकिन यह मेरी निजी लड़ाई है. राष्ट्रीय खेल पुरस्कार इस साल 29 अगस्त के बजाय 25 सितंबर को दिये जायेंगे क्योंकि निर्धारित तारीख के समय एशियाई खेल चल रहे थे.

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