Utpanna Ekadashi 2025: इस बार उत्पन्ना एकदशी पर बन रहे हैं ये दुर्लभ संयोग, जानिए इस व्रत के अद्भुत लाभ

Utpanna Ekadashi 2025: क्या आप जानते हैं कि इस बार की उत्पन्ना एकादशी इतनी खास क्यों मानी जा रही है? अगहन महीने के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी इस साल 15 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार एकादशी पर बन रहे दुर्लभ संयोग और इस व्रत के लाभ के बारे में.

By JayshreeAnand | November 12, 2025 12:57 PM

Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकदशी के दिन साधु-संत, वैष्णवजन और गृहस्थ सभी उपवास या फलाहार रखकर श्रीहरि विष्णु की पूजा, गीता पाठ, और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करते हैं. शास्त्रों में उत्पन्ना एकादशी को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली एकादशी कहा गया है.

बन रहे हैं ये दुर्लभ संयोग

इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, वैधृति योग और जयद् योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. यह इस साल की 23वीं एकादशी होगी. मान्यता है कि इस व्रत को करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को भी मोक्ष प्राप्त होता है.

एकादशी व्रत से मिलता है दुर्लभ पुण्य

ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार, एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है. इस दिन शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले श्रीहरि विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करने से सहस्त्र वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस व्रत से व्यक्ति को आरोग्यता, संतान सुख, मोक्ष और पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.

जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति

पंडित झा बताते हैं कि एकादशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. यह व्रत बुद्धि प्रदान करने वाला, शांति देने वाला और संतान सुख देने वाला माना गया है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है.

एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन अनाज, मांस, लहसुन-प्याज, और नशे वाले पदार्थों का सेवन वर्जित है. झूठ, क्रोध और किसी का अपमान करने से भी बचना चाहिए.

उत्पन्ना एकादशी की कथा क्या है?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने राक्षसों के नाश के लिए एकादशी देवी को उत्पन्न किया था, इसलिए इसका नाम ‘उत्पन्ना’ पड़ा.

उत्पन्ना एकादशी पर पूजा कैसे करें?

प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु को तुलसी, धूप, दीप, फूल और नैवेद्य अर्पित करें. गीता और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना गया है.

उत्पन्ना एकादशी को कौन-से मंत्रों का जाप शुभ होता है?

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप अत्यंत शुभ माना गया है.

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