Karwa Chauth 2021: पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं क्‍यों देखती हैं छलनी से चांद, आइए जानें

Karwa Chauth 2021: इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. करवाचौथ'शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है,'करवा' यानी 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' यानि 'चतुर्थी '. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन चांद देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? महिलाएं चांद को छलनी से क्यों देखती हैं ? आइए जानें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2021 5:57 PM

पति की लंबी उम्र के लिए हर सुहागिन करवा चौथ के दिन व्रत रखती है. करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए सबसे बड़े दिनों में से एक है और पूरे भारत में यह दिन हर्षोउल्‍लास के साथ मनाया जाता है. इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. करवाचौथ’शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है,’करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ यानि ‘चतुर्थी ‘. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन चांद देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? महिलाएं चांद को छलनी से क्यों देखती हैं ? आइए जानें.

Karwa Chauth 2021: करवा चौथ के दिन छलनी का महत्व

करवा चौथ के दिन छलनी का काफी महत्व होता है. पूजा की थाली में सभी चीजों की तरह छलनी की भी अपनी खास जगह है. जी हां करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी से देखकर पूरा करती हैं. इस छलनी में महिलाएं दीपक रखकर चांद को देखती हैं और फिर अपने पति का चेहरा देखती हैंं. जिसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा कराते हैं.

Karwa Chauth 2021: करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल करवा चौथ का चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा. चंद्रमा रात को 08:11 पर निकलेगा. वहीं करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा. करवा चौथ का व्रत रख रही महिलाओं और लड़कियों को शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना चाहिए.

Karwa Chauth 2021: पूजन विधि

बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें. मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें. पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें.

Karwa Chauth 2021: पूजन के लिए निम्न मंत्र बोलें

ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।

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