Gangaur puja 2020 : गणगौर पूजा आज, जानिए पूजा का महत्व ,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गणगौर gangaur puja 2020 का त्यौहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है. गणगौर पूजा इस वर्ष आज 27 मार्च शुक्रवार के दिन है. इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं. इस दिन भगवान शिव ने पार्वतीजी को तथा पार्वतीजी ने पूरे स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था.इस दिन कुंवारी व विवाहित दोनों महिलाएं मिट्टी के शिव एवं माता पार्वती यानी की गौर बनाती हैं. इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिंदूर और चूड़ी चढ़ाया जाता है. पूजन gangaur teej 2020 के बाद चंदन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से भोग लगाया जाता है.आज के ही दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की भी पूजा की जाएगी.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 27, 2020 8:21 AM

गणगौर gangaur puja 2020 का त्यौहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है. गणगौर पूजा इस वर्ष आज 27 मार्च शुक्रवार के दिन है. इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं. इस दिन भगवान शिव ने पार्वतीजी को तथा पार्वतीजी ने पूरे स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था.इस दिन कुंवारी व विवाहित दोनों महिलाएं मिट्टी के शिव एवं माता पार्वती यानी की गौर बनाती हैं. इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिंदूर और चूड़ी चढ़ाया जाता है. पूजन gangaur teej 2020 के बाद चंदन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से भोग लगाया जाता है.आज के ही दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की भी पूजा की जाएगी.

गणगौर आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है. यह मनाया तो पूरे भारत में जाता है लेकिन राजस्थान में इसका विशेष महत्व है.गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं वहीं विवाहित महिलायें आज इस चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु होने की कामना करेंगी.

गणगौर होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक, यानी 17 दिनों तक चलने वाला त्योहार है.ऐसी मान्यता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं ,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है.इन सोलह दिन तक महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर बगीचे में जाती हैं और रोजाना दूब व फूल चुन कर लाती हैं. उन दूबों से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती हैं.चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी या तालाब पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को वे पानी पिलाती हैं और अगले दिन सांयकाल के समय उन गणगौरों का विसर्जन कर देती हैं. गणगौरों के पूजा स्थल गणगौर का पीहर और विसर्जन स्थल ससुराल माना जाता है.

गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की खूबसूरती हैं. इस पर्व में गवरजा और ईसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है तथा उन गीतों के बाद अपने परिजनों के नाम लिए जाते हैं. राजस्थान के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में भी प्रचलित है.गणगौर पूजन में कन्यायें और महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं.

शुभ मुहूर्त:-

तृतीया तिथि प्रारम्भ – मार्च 26, 2020 को 07:53 PM बजे

तृतीया तिथि समाप्त – मार्च 27, 2020 को 10:12 PM बजे

गणगौर व्रत समापन पूजन विधि :

* जवारों को ही देवी गौरी और शिव का रूप मान एकादशी से उनकी पूजा होती है.

* चैत्र शुक्ल द्वितीया को गौरी पूजन का महत्व है,विधिपूर्वक पूजन करनी चाहिए.

* सुहाग की सामग्री को विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है.

* इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाकर गौरीजी की कथा पढ़ी जाती है.

* गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियों को अपनी माँग भरनी चाहिए.

* कुँआरी कन्याओं को गौरीजी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए

* चैत्र शुक्ल द्वितीय को गौरीजी को किसी नदी या तालाब पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएँ.

* चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्राभूषण पहनाकर डोल या पालने में बिठाया.

* शाम को महिलाएँ अपने द्वारा बनाए गए गौरी व शिव को अपने घर के किसी उपलब्ध हिस्से में ही एक कुंड बना कर विधिपूर्वक पूजन कर गणगौर विसर्जित करें.

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