Ganesha Chaturthi 2021: आज है गणेश चतुर्थी, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

Ganesha Chaturthi 2021 Puja Vidhi: आज 10 सितंबर दिन शुक्रवार को गणेश चतुर्थी है. आज पूरे देश भर में गणेश पूजा का त्योहार मनाया जा रहा है. आज भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. ये पर्व खासतौर से महाराष्ट्र में मनाया जाता है. आइए जानते है गणेश पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी...

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2021 1:35 PM

मुख्य बातें

Ganesha Chaturthi 2021 Puja Vidhi: आज 10 सितंबर दिन शुक्रवार को गणेश चतुर्थी है. आज पूरे देश भर में गणेश पूजा का त्योहार मनाया जा रहा है. आज भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. ये पर्व खासतौर से महाराष्ट्र में मनाया जाता है. आइए जानते है गणेश पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी…

लाइव अपडेट

भगवान गणेश को सिंदूर जरूर लगाएं

गणेश जी को सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. भगवान गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं.

आज चांद नहीं देखने की है मान्यता

आज गणेश चतुर्थी है. आज रात में चांद नहीं देखने की मान्यता है. आज चांद देखने पर कलंक लगने का खतरा रहता है. अगर भूल से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तब इस मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करने लेना चाहिए.

चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र

सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

गणेश चतुर्थी पर 5 ग्रहों के बन रहे शुभ संयोग

गणेश चतुर्थी पर इस बार 5 ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है, इस दौरान बुध कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ में, शनि मकर राशि में, केतु वृश्चिक राशि में विराजमान होंगे. ग्रहों की ये स्थिति कारोबार करने वाले जातकों के लिए शुभ है.

गणपतिजी को भूलकर भी अर्पित न करें ये 5 चीजें

  • तुलसी- भगवान गणेशजी को भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए. तुलसी विष्णुप्रिया है.

  • केतकी के और सफेद फूल- गणेशजी को कभी भी सूखे फूल अर्पित नहीं करना हैं. सूखे फूल अर्पित करना अशुभ होता है.

  • सफेद जनेऊ और सफेद वस्त्र- गणेश जी को सफेद जनेऊ भी अर्पित नहीं करते हैं. जनेऊ को हल्दी में पीला करके ही उन्हें अर्पित करें. इसी प्रकार उन्हें सफेद वस्त्र भी नहीं पहनाए जाते हैं.

  • सफेद चंदन- गणेजी को सफेद चंदन के बजाए पीला चंदर अर्पित करें या पीला चंदन लगाएं.

आज इस तरह करें मंगल दोष का निवारण

मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए जातकों को हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद बांटना चाहिए. इसके साथ मंगल दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए लोग हर एक मंगलवार को व्रत रखते हैं.

गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

इस मंत्र का करें जाप

सबसे अधिक शुभ होता है मिट्टी की बनी प्रतिमा

मिट्टी की बनी हुई गणेश प्रतिमा को सबसे शुभ माना जाता है, इसलिाए इसकी ही स्थापना करनी चाहिए. सोने, चांदी या अन्य किसी धातु की बनी मूर्ति की भी पूजा की जा सकती है.

पूजा के समय राहु काल का रखें खास ध्यान

भगवान गणेश की पूजा के समय राहु काल का खास ध्यान रखना चाहिए. पंचांग के अनुसार 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को राहु काल सुबह 10 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है.

पूजा सामग्री लिस्ट

आज भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए इन सामग्रियों को होना जरूरी है. भगवान गणेश की प्रतिमा, लाल कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, कलश, नारियल, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, रोली, मौली लाल पूजा थाली में जरूर रखें. पूजा के समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें. इसके बाद प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें.

भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें

गणेश जी को पूजन में भूलकर भी तुलसी पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी जी ने भगवान गणेश से विवाह से मना कर दिया था, इससे नाराज हो कर गणपति बप्पा ने उन्हें श्राप दे दिया था.

आज इस रंग का कपड़ा पहनना रहेगा शुभ

आज गणेश भगवान का दिन है. आज दिनभर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. आज नीले और काले रंग के कपड़े ना पहने, भगवान गणेश को लाल और पीला रंग प्रिय है. पूजा करते समय लाल या पीले रंग के कपड़े पहना शुभ रहेगा.

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10 दिन तक की जाती है भगवान गणपति की पूजा

पारंपरिक रूप से भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि को श्रद्धालु अपने-अपने घरों में गणपति प्रतिमा को स्थापित करके उनकी प्राण-प्रतिष्ठा सहित पूजा करते हैं. गणपति पूजन का आयोजन 10 दिन तक किया जाता है. इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को बड़ी धूम-धाम से विदाई देकर विसर्जन करते हैं.

गणेश चतुर्थी पर नहीं रहेगा भद्रा का साया

इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भद्रा का साया भी लग रहा है. गणेश चतुर्थी के दिन 11 बजकर 09 मिनट से रात 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी. शास्त्रों के अनुसार पाताल निवासिनी भद्रा का होना शुभ फलदायी होता है. इससे समय धरती पर भद्रा का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है. दूसरी बात यह भी है कि गणपतिजी स्वयं सभी विघ्नों का नाश करने वाले विघ्नहर्ता हैं, इसलिए गणेश चतुर्थी पर लगने वाले भद्रा से लाभ ही मिलेगा.

गणपति स्थापना पूजन का शुभ मुहूर्त

इस बार गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त दिन में 12 बजकर 17 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में शुरू होगा और रात 10 बजे तक पूजन का शुभ समय रहेगा. पूजा के समय “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करते हुए गणपतिजी को जल, फूल, अक्षत, चंदन और धूप-दीप एवं फल नैवेद्य अर्पित करें. प्रसाद के रूप में गणेशजी को उनके अति प्रिय मोदक का भोग जरूर लगाएं.

गणेश पूजा का सकंल्प

गणपति पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें. संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें. सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें. अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें.

गणेश पूजन विधि

सर्वप्रथम चौकी पर लाल कपडा बिछा कर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करे. अपने बाएं हाथ की हथेली में जल लें एवं दाहिने हाथ की अनामिका उंगली व आसपास की उंगलियों से निम्न मंत्र बोलते हुए स्वयं के ऊपर एवं पूजन सामग्रियों पर जल छिड़कें. इसके बाद ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्था गतोsपि वा। या स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्रामायंतर: शुचि:।। इसके बाद श्रद्धा भक्ति के साथ घी का दीपक लगाएं. दीपक रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प, से पूजन करें. फिर अगरबत्ती, धूपबत्ती जलाये. जल भरा हुआ कलश स्थापित करे और कलश का धूप, दीप, रोली, कुंकु, अक्षत, पुष्प से पूजन करें. अंत में गणेश जी की आरती करे. आरती के बाद 3 परिक्रमा करे और पुष्पांजलि दे.

अर्चन सामग्री

वेसन के लड्डू, लाजा (खील), जौ का सत्तू, सफेद तिल, चुरा (पोहा), गन्ना, केला, नारियल

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