Chitragupta Puja katha: चित्रगुप्त पूजा के दिन करें इस कथा का पाठ, जानिए कौन हैं भगवान चित्रगुप्त
Chitragupta Puja katha: हिंदू धर्म में भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से इस दिन पूजा करता है, उसे ज्ञान, बुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब भगवान श्री चित्रगुप्त जी की कथा सुनी या पढ़ी जाए.
Chitragupta Puja katha: चित्रगुप्त पूजा का दिन केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और कर्म के महत्व को समझने का भी अवसर होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर व्यक्ति सच्चे मन से भगवान चित्रगुप्त की कथा पढ़े या सुने, तो उसके जीवन के पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए कहा जाता है कि इस दिन इस कथा को ज़रूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि यह हमें सिखाती है कि हर कर्म का हिसाब होता है और सच्ची भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती.
चित्रगुप्त पूजा कथा(Chitragupta Puja katha)
प्राचीन काल में सौदास नाम का एक राजा था, जो अपने राज्य में अत्यंत अत्याचारी और निर्दयी माना जाता था. उसके व्यवहार से सभी प्रजा दुखी थी. एक दिन जब राजा नगर भ्रमण पर निकला, तब उसने एक ब्राह्मण को पूजा करते देखा. उत्सुक होकर राजा ने पूछा, “हे ब्राह्मण, आप किस देवता की पूजा कर रहे हैं?” ब्राह्मण ने उत्तर दिया, “राजन, आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया का दिन है, इसलिए मैं यमराज के लेखपाल भगवान चित्रगुप्त की आराधना कर रहा हूं. इस पूजा से जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.”ब्राह्मण की बात सुनकर राजा सौदास ने भी उसी दिन श्रद्धा से चित्रगुप्त जी की पूजा की. कुछ समय बाद जब राजा की मृत्यु हुई, तो उसे यमलोक ले जाया गया. वहां चित्रगुप्त जी ने यमराज को बताया कि यद्यपि राजा ने जीवन में अनेक पाप किए, परंतु उसने सच्चे मन से चित्रगुप्त और यमराज की पूजा की थी. इसलिए उसे नरक नहीं भेजा जा सकता. इस प्रकार राजा को अपने पापों से मुक्ति मिली और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस कथा को श्रद्धापूर्वक सुनता या पढ़ता है, उसे जीवन में सुख-शांति, ज्ञान और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
इस दिन क्यों नहीं की जाती पढ़ाई-लिखाई
चित्रगुप्त पूजा के दिन लोग अपनी किताबें, पेन, कॉपियां और हिसाब-किताब की बही पूजा के लिए रखते हैं. विद्यार्थी और व्यापारी दोनों ही इस दिन कलम-दवात की विशेष पूजा करते हैं, ताकि उन्हें ज्ञान, सफलता और समृद्धि मिले. परंपरा के अनुसार, इस दिन पढ़ाई या कोई लिखने का काम नहीं किया जाता. माना जाता है कि जब कलम और किताबें पूजा में रखी जाती हैं, तो वे भी विश्राम की अवस्था में होती हैं. इसलिए उस दिन उनका उपयोग न करना ही शुभ माना जाता है.
चित्रगुप्त जी कौन हैं?
चित्रगुप्त जी यमराज के लेखपाल हैं, जो हर जीव के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. उन्हें धर्म और न्याय का देवता भी कहा जाता है.
चित्रगुप्त पूजा क्यों की जाती है?
इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
चित्रगुप्त पूजा की कथा पढ़ने का क्या महत्व है?
कथा पढ़ने से व्यक्ति को अपने कर्मों का बोध होता है और भगवान की कृपा से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष का रास्ता खुलता है.
चित्रगुप्त पूजा कौन लोग करते हैं?
यह पर्व मुख्य रूप से कायस्थ समाज द्वारा मनाया जाता है, लेकिन आजकल हर कोई इसे श्रद्धा से करता है.
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