Chaitra Navratra 2020: मां कालरात्रि की पूजा आज,जानें पूजा विधि,देवी श्लोक,मंत्र व आरती

माँ दुर्गा chaitra durga की सातवीं शक्ति व सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि maa kaalratri है. नवरात्रि उपासना में आज 31 मार्च मंगलवार के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि maa kaalratri की पूजा की जाएगी. आज के दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन मां कालरात्रि के इस भव्य स्वरूप की पूजन-आराधन की जाती है. इस दिन माता के भक्तों को अत्यंत पवित्र मन से देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए. इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है.देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के ही नाम हैं.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 31, 2020 7:40 AM

माँ दुर्गा chaitra durga की सातवीं शक्ति व सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि maa kaalratri है. नवरात्रि उपासना में आज 31 मार्च मंगलवार के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि maa kaalratri की पूजा की जाएगी. आज के दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन मां कालरात्रि के इस भव्य स्वरूप की पूजन-आराधन की जाती है. इस दिन माता के भक्तों को अत्यंत पवित्र मन से देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए. इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है.देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के ही नाम हैं.

मां कालरात्रि का भव्य रूप :

इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है.सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड की तरह गोल हैं. कालरात्रि अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं. यह काल से भी रक्षा करने वाली देवी हैं.माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है. ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है. जितना इनका रूप भयंकर है उसके विपरित ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं. इसीलिए इन्हे शुभंकरी कहा गया है. इसलिए इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत ना होकर उनकी अराधना करके पुण्य का भागी बनना चाहिए.

मंत्र :

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, मैं आपको बारंबार प्रणाम करता /करती हूं. हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान करें.

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः .

कालरात्रि के इस श्लोक का भी करें जाप:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

ऐसे करें देवी कालरात्रि की पूजा…

* स्नान कर माता की पूजा शुरु करें

*पूजास्थल पर मां कालरात्रि की मूर्ति स्थापित करें

*माता की मूर्ति को जल से स्नान करायें

*वस्त्रादि पहनाकर मां को भोग लगाएं

*पुष्प व माला माता को अर्पण करें.

*पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प जरूर अर्पण करे.

*गंगाजल छिड़कर घर के हर कोने को पवित्र करें

*मंत्रोच्चार करते हुए व्रत का संकल्प पढ़ें

*माता की कथा कर मां को प्रसन्न करें.

*माता की आरती जरुर पढें.

कालरात्रि की आरती :

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय

कालरात्रि जय जय

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