Buddha Purnima 2020: जाने सिद्धार्थ कैसे हो गए गौतम बुद्ध, यह है पूजन का समय और विधि

Buddha purnima 2020, Date and Time, shubh muhurat, Puja Vidhi, Lord Vishnu: वैशाख पूर्णिमा के गौतम बुद्ध की जयंती है, इनका जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था. वह नेपाल के लुंबिनी में पैदा हुए थे, इनके जन्म के सात बाद ही इनकी मां महामाया की मृत्यु हो गई था. इनका लालन-पालन की मौसी ने किया था, इनका विवाह एक यशोधरा के साथ हुआ था और राहुल नामक इनका एक पुत्र भी हुआ.

By Radheshyam Kushwaha | May 7, 2020 5:56 AM

Buddha purnima 2020: वैशाख पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती है. इनका जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था. वह नेपाल के लुंबिनी में पैदा हुए थे. इनके जन्म के सात बाद ही इनकी मां महामाया की मृत्यु हो गई थी. इनका लालन-पालन की मौसी ने किया था. इनका विवाह एक यशोधरा के साथ हुआ था और राहुल नामक इनका एक पुत्र भी हुआ. गौतम बुद्ध की दीक्षाओं के बाद यशोधरा और राहुल भी बौद्ध भिक्षु हो गए. वह एक आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. इस धर्म की स्थापना भारत में हुई थी लेकिन उत्तर कोरिया, चीन, वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, मंगोलिया, तिब्बत, थाईलैंड, हांगकांग, म्यांमार और श्रीलंका समेत कई देशों में इसके अनुयायी हैं. इतिहासकारों ने बुद्ध के जीवन काल को 563-483 ई.पू. के मध्य माना है. बुद्ध की मृत्यु यूपी के कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में हुई थी.

बिहार का बोधगया गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. यहीं पर उन्हें एक वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था. पहली बार सारनाथ में उन्होंने पांच शिष्यों को शिक्षा दी थी. उत्तर भारत में भगवान विष्णु का 9वां अवतार बुद्ध को तथा 8वां अवतार भगवान कृष्ण को माना जाता है. हालांकि दक्षिण भारतीय मान्यता में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना गया है. बौद्ध भी बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार नहीं मानते हैं. पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की कथा करने का विधान है. गुरुवार और पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा, व्रत-उपवास की मान्यता है.

बुद्ध पूर्णिमा

खास तिथियां

बुद्ध पूर्णिमा मई 7

तिथि प्रारंभ : 06 मई शाम 7:44 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त : 07 मई शाम 4:14 बजे

ऐसे करें पूजा

01- सूर्योदय से पहले घर की सफाई करें.

02- स्नान करने के बाद घर में गंगाजल छिड़कें.

03- घर के मंदिर में विष्णु जी का दीपक जलाएं और घर को फूलों से सजाएं.

04- मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं.

05- बोधिवृक्ष के आस-पास दीप जलाएं, जड़ों में दूध और फूल चढ़ाएं.

06- स्नान करने के बाद दान-पुण्य करें.

07- उगते चंद्रमा को जल चढ़ाएं.

08- पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति.

गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था. जब वह 35 वर्ष के थे तो बिहार के बोधगया में एक पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. उसे बोधिवृद्ध कहा जाता है. इसके बाद इनका नाम गौतम बुद्ध हो गया. हर साल देश-विदेश को करोड़ों श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करते हैं.

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