Bedi Hanuman Temple Story: आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को बांधा था जंजीरों से? जानिए इसकी कहानी
Bedi Hanuman Temple Story: ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर के पीछे एक अद्भुत कथा छिपी है. कहते हैं कि यहां स्वयं भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को जंजीरों से बांधा था. आइए जानते हैं आखिर जगन्नाथ जी को ऐसा क्यों करना पड़ा.
Bedi Hanuman Temple Story: बेड़ी हनुमान मंदिर, जगन्नाथ मंदिर से थोड़ी दूरी पर समुद्र तट के पास स्थित है. यह वही स्थान है जहां हनुमान जी समुद्र की सीमा की रक्षा करते हैं. मंदिर में विराजमान हनुमान जी की मूर्ति में आज भी लोहे की चमकती जंजीरें देखी जा सकती हैं.
जगन्नाथ नगरी के रक्षक बने श्री हनुमान
मान्यता के अनुसार, बहुत समय पहले पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए समुद्र देव मंदिर तक प्रवेश कर जाते थें. इस कारण वहां लोग परेशान हो गए कि समुद्र की लहरों के वजह से पुरी नगरी डूब जाएगी. तब भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को आदेश दिया की वे समुद्र तट पर बैठकर समुद्र को शहर की तरफ बढ़ने से रोके. हनुमान जी बड़े भक्तिभाव से अपना कार्य निभा रहे थे. परंतु जब भी श्री हनुमान को भगवान राम के भजन और कीर्तन सुनाई देते, वो तुरंत ही उस स्थान पर चले जाते थे जहां से राम भजन की आवाज आती थी.
इस कारण बांधा गया हनुमान जी को
एक दिन हनुमान जी की अनुपस्थिति में समुद्र ने अपनी सीमा लांघ दी और जगन्नाथ मंदिर के करीब तक आ गया. तब भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को लोहे की बेड़ियों से बांध दिया, ताकि वे सदैव समुद्र तट पर रहें और पुरी की रक्षा करते रहें. इन जंजीरों का अर्थ दंड नहीं, बल्कि कर्तव्य और भक्ति का बंधन था जिससे हनुमान जी अपने वचन पर अटल रह सकें.
बेड़ी हनुमान मंदिर का निर्माण
इसी कथा के चलते इस स्थान को ‘बेड़ी हनुमान मंदिर’ कहा जाने लगा. यहां भगवान हनुमान की प्रतिमा को जंजीरों से बंधे रूप में स्थापित किया गया है, जो इस पौराणिक प्रसंग की याद दिलाती है.
आज भी रक्षा के लिए मौजूद हैं श्री हनुमान
पुरी के लोग मानते हैं कि जब तक बेड़ी हनुमान जी अपनी जगह पर हैं, तब तक समुद्र कभी शहर के भीतर नहीं आएगा. श्रद्धालु यहां आकर हनुमान जी को तेल, सिंदूर और गुड़ का भोग लगाते हैं और अपने जीवन में स्थिरता की कामना करते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है.
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