आमलकी एकादशी पर है आंवला पेड़ की पूजा का है महत्व, यहां से जानें

Amalaki Ekadashi 2025: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. आइए समझते हैं कि आंवला वृक्ष को पूजनीय क्यों माना जाता है और आमलकी एकादशी पर इसकी पूजा का क्या महत्व है. जानें..

By Shaurya Punj | February 19, 2025 11:24 AM

Amalaki Ekadashi 2025: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है. इसे आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. आइए, जानते हैं कि आमलकी एकादशी कब मनाई जाएगी, और इस दिन आंवले की पेड़ की पूजा का क्या महत्व है

आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च को सुबह 7:45 बजे प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 10 मार्च को सुबह 7:44 बजे होगा. इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार आमलकी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी और इसी दिन इसका व्रत किया जाएगा.

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आमलकी एकादशी पर आंवले की पूजा का महत्व

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान जनार्दन, मां लक्ष्मी के साथ आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मृत्यु के बाद उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.

आंवला लक्ष्मी जी का अंश माना गया है

गरुण पुराण के अनुसार, इस दिन भगवती लक्ष्मी के आंसू से आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. मान्यता है कि आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है, जिससे धन और समृद्धि में कोई कमी नहीं आती और व्यक्ति राजसुख का अनुभव करता है.