मंगला गौरी व्रत से होती है सुख-सौभाग्य की प्राप्ति, जानें विधि

सावन के हर मंगलवार को मां गौरी की विशेष पूजा का विधान बताया गया है. यह व्रत मंगलवार को होने के कारण ही मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गौरी के उपासक को उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस बार इस व्रत का आरंभ 23 जुलाई, 2019 को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2019 10:26 AM

सावन के हर मंगलवार को मां गौरी की विशेष पूजा का विधान बताया गया है. यह व्रत मंगलवार को होने के कारण ही मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गौरी के उपासक को उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस बार इस व्रत का आरंभ 23 जुलाई, 2019 को मंगलवार के दिन से किया जायेगा. मान्यता के अनुसार सावन माह के प्रत्येक मंगलवार के दिन इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अगर कुंडली में विवाह-दोष है, तो भी यह व्रत करना शुभदायी होगा.

मंगला गौरी व्रत कथा : एक गांव में बहुत धनी व्यापारी रहता था. कई वर्ष बीत जाने के बाद भी उसका कोई पुत्र नहीं हुआ. कई मन्नतों के पश्चात बड़े भाग्य से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, परंतु उस बच्चे को श्राप था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प काटने के कारण उसी मृत्यु हो जायेगी. संयोगवश व्यापारी के पुत्र का विवाह सोलह वर्ष से पूर्व मंगला गौरी का व्रत रखने वाली स्त्री की पुत्री से हुआ. व्रत के फल स्वरूप उसकी पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था. इस प्रकार व्यापारी के पुत्र से अकाल मृत्यु का साया हट गया तथा उसे दीर्घायु प्राप्त हुई.

व्रत की विधि : शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को प्रातः स्नान कर मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को सामने रखकर अपनी कामनाओं को मन में दोहराना चाहिए. आटे से बने दीपक में 16 बत्तियां जला कर देवी के सामने रखना चाहिए. साथ ही सोलह लड्डू,पान, फल, फूल, लौंग, इलायची और सुहाग की निशानियों को देवी के सामने रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए. पूजा समाप्त होने पर सभी वस्तुएं ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए. अवश्य ध्यान रखें कि इस पूजा में उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुएं 16 की संख्या में हों. व्रत करने के पांचवे वर्ष के श्रावण माह के अंतिम मंगलवार को इसका उद्यापन करना चाहिए.

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