प्रभात खबर नजरिया : मंकीपॉक्स से बचाव

अभी किसी देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात जैसी स्थिति नहीं है, फिर भी इस समय को गंभीरता से लेने और तात्कालिक तैयारियों को पुख्ता करने की जरूरत है.

By संपादकीय | June 2, 2022 8:22 AM

जिस वक्त कोविड-19 का संक्रमण विस्फोटक हो रहा था, दुनिया के कई देशों के सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा अधिकारी अंधेरे में थे. कारण- बीमारी की सही जांच और रोकथाम का कोई पुख्ता उपाय नहीं था. दुनिया अब एक नये प्रकार के संक्रमण मंकीपॉक्स का सामना कर रही है. ऐसे में हम बीमारी की निगरानी और पब्लिक कम्युनिकेशन की पुरानी गलती को नहीं दोहरा सकते. हालांकि, मंकीपॉक्स और कोविड-19 दोनों एक जैसे नहीं हैं, फिर भी हम महामारी की गलतियों से जरूर सीख सकते हैं.

अदृश्य संक्रमण को रोकना आसान नहीं है. लोगों की मदद नहीं हो पायेगी, अगर लोगों को संभावित मुश्किलों के प्रति आगाह नहीं किया गया. विषाणुजनित संक्रमण की निगरानी, पहचान, पुष्टि और इलाज के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है. मंकीपॉक्स धीमे म्यूटेट होनेवाला डीएनए वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट या सीधे संपर्क में आने से फैलता है. यह एक प्रकार का ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो सामान्य तौर पर जानवरों से इंसानों में फैलता है.

पहली बार यह बड़े स्तर पर इंसानों से इंसानों के बीच फैल रहा है. मध्य और पश्चिमी अफ्रीका की यह स्थानिक बीमारी अब दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल रही है. अभी तक 20 से अधिक देशों में 400 से अधिक मामले रिपोर्ट हुए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बीते 21 दिनों के भीतर संक्रमण प्रभावित देश की यात्रा करनेवाले व्यक्तियों की निगरानी आवश्यक है.

संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर दाने, बुखार, शरीर और सिर में दर्द तथा कमजोरी जैसे लक्षण उभरते हैं. मामले की पुष्टि केवल पीसीआर टेस्ट या नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे द्वारा नमूनों की जांच के आधार की जा सकती है. देश में संक्रामक बीमारियों की निगरानी करनेवाले एकीकृत बीमारी निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी) ने स्वास्थ्य सेवाओं, विशेषकर त्वचा क्लीनिक, यौन संचारित रोगों के क्लीनिक, मेडिसिन क्लीनिक और पीडिएट्रिक्स क्लीनिक को सतर्क रखने का निर्देश दिया है.

संक्रमण से होनेवाले त्वचा के घावों, बुखार, खुजली, मिचली, उल्टी, सिरदर्द और अस्वस्थता जैसे लक्षणों के निदान के लिए भी उपाय सुझाये गये हैं. अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कई अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आये हैं.

बचाव उपायों के प्रति विशेषज्ञों के सतर्क होने तथा मंकीपॉक्स संक्रमण से जुड़े आवश्यक प्रश्नों का शोधकर्तों द्वारा समाधान खोजने का प्रयास होना चाहिए. सही वैज्ञानिक जानकारी का अभाव एक वैश्विक समस्या है, जिसका शुरुआती दौर में ही समाधान जरूरी है, ताकि समस्या को आने से पहले ही नियंत्रित किया जा सके.

हालांकि, अभी किसी भी देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात जैसी स्थिति नहीं है, फिर भी इस समय को गंभीरता से लेने और तात्कालिक तैयारियों को पुख्ता करने की जरूरत है, तभी इमरजेंसी को टाला जा सकेगा. खुद के स्तर पर भी हमें सावधानी और सतर्कता की अपनी पुरानी आदत को जारी रखना है.

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