टीका बर्बाद न हो

सवाल केवल दवा की कुछ खुराक के खराब होने का नहीं है, यह लोगों के जीने-मरने का मसला है. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे जाने-अनजाने लापरवाही न हो.

By संपादकीय | April 22, 2021 10:35 AM

हामारी से मचे चौतरफा त्राहिमाम के बीच टीकों की बर्बादी की खबर बेहद चिंताजनक है. सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, 11 अप्रैल तक देश के विभिन्न राज्यों में 44 लाख से अधिक खुराक खराब हो गयी. जनवरी के मध्य से इस तारीख तक 10 करोड़ खुराक इस्तेमाल हुई है. किसी भी टीकाकरण अभियान में कुछ खुराक बर्बाद होना सामान्य बात है, लेकिन मौजूदा कोरोना काल कोई सामान्य स्थिति नहीं है. यह पहला ऐसा अभियान है, जिसके तहत समूची वयस्क आबादी का टीकाकरण होना है. टीका ही संक्रमण से बचाव की एकमात्र उपलब्ध दवा है. इस कारण इसके उत्पादन और वितरण पर भी भारी दबाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत पहले आग्रह किया था कि टीकों को बर्बाद न होने दिया जाए. कई विशेषज्ञ बार-बार इस ओर ध्यान दिलाते रहे हैं. इसके बावजूद तमिलनाडु में 12.10, हरियाणा में 9.74, पंजाब में 8.12, मणिपुर में 7.8 और तेलंगाना में 7.55 प्रतिशत खुराक किसी काम की न रहीं. कुछ अन्य राज्यों में भी बर्बादी का अनुपात आपत्तिजनक रहा है.

ऐसे में उन राज्यों की प्रशंसा की जानी चाहिए, जहां अधिक-से-अधिक खुराक लोगों को दी गयी. इस संदर्भ में यह उल्लेख करना जरूरी है कि मौजूदा टीके ऐसे हैं, जिनके खराब होने की आशंका शून्य है. जो राज्य टीकों की कमी को मुद्दा बनाते रहे, जिससे इस मसले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला, उन्हें इस बर्बादी का स्पष्टीकरण देना चाहिए. सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे इस संबंध में जाने-अनजाने लापरवाही न हो. सवाल केवल दवा की कुछ खुराक के खराब होने का नहीं है, यह लोगों के जीने-मरने का मसला है. मान लें कि अगर 44 लाख खुराक का आधा हिस्सा भी लोगों को मिल जाता, तो कम-से-कम 10 लाख लोग संक्रमण से सुरक्षित हो जाते. केंद्र सरकार ने राज्यों को उपलब्ध टीकों की समुचित आपूर्ति राज्यों को की है. प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश के बाद अब नये तेवर के साथ इसे बढ़ाया जा रहा है. लेकिन, जैसा दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्दिष्ट किया है,

केंद्र सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि टीकों की अनावश्यक और अनुचित बर्बादी न हो. न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया है कि खुराक खराब होने के लिए केंद्र सरकार भी एक हद तक जिम्मेदार है क्योंकि ठीक से योजना का निर्धारण नहीं किया गया था. सरकार और दवा नियंत्रण निदेशक को राज्यों को स्पष्ट दिशा-निर्देश और आवश्यक मार्गदर्शन देना चाहिए. एक मई से सभी वयस्क टीका ले सकेंगे. इसके साथ टीकाकरण की गति को भी तेज करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में बड़ी मात्रा में खुराक की बर्बादी बेहद नुकसानदेह साबित होगी. संक्रमण के रोजाना मामलों की संख्या तीन लाख के आसपास पहुंच गयी है. अब बचाव के उपायों पर जोर देते हुए टीकाकरण अभियान को प्रभावी बनाने पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए.

Posted By : Sameer Oraon

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