सरकारी स्कूलों की बदहाली

सरकारी स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का लाभ उठाते हुए निजी स्कूलों की बाढ़-सी आ गयी है. निजी स्कूलों के अभिभावकों से मनमाना फीस वसूल रहे हैं. सरकार ने शिक्षा का आधार कानून बना तो दिया लेकिन उसको धरातल पर लागू करने के लिए न तो उनके पास स्कूल है और न ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 25, 2017 6:11 AM
सरकारी स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का लाभ उठाते हुए निजी स्कूलों की बाढ़-सी आ गयी है. निजी स्कूलों के अभिभावकों से मनमाना फीस वसूल रहे हैं. सरकार ने शिक्षा का आधार कानून बना तो दिया लेकिन उसको धरातल पर लागू करने के लिए न तो उनके पास स्कूल है और न ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिए शिक्षक. निजी स्कूलों को 25 फीसदी गरीब बच्चों को पढ़ाने, पुस्तकें और ड्रेस भी देना है.
इन बच्चों का आर्थिक भार स्कूल के दूसरे बच्चों को ही उठाना है. स्कूली शिक्षा की वर्तमान दुर्दशा के लिए सरकार की भूमिका रही है. शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार के पास दो विकल्प हैं, सरकार शिक्षा व्यवस्था में पर्याप्त व्यवस्था सुधार करे या निजी शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगाये.
कांतिलाल मांडोत, सूरत, इमेल से

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