रोजगार सृजन सबसे जरूरी

दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन कर उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा वृद्धि दर को बढ़ाने पर टिकी है. इसके अनुरूप हाल में आर्थिक नियोजन की शीर्ष संस्था नीति आयोग के दृष्टिपत्र में कहा गया कि अगले डेढ़ दशक में आठ फीसदी की सालाना वृद्धि दर के साथ देश का सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) मौजूदा 137 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 11, 2017 6:56 AM
दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन कर उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा वृद्धि दर को बढ़ाने पर टिकी है. इसके अनुरूप हाल में आर्थिक नियोजन की शीर्ष संस्था नीति आयोग के दृष्टिपत्र में कहा गया कि अगले डेढ़ दशक में आठ फीसदी की सालाना वृद्धि दर के साथ देश का सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) मौजूदा 137 लाख करोड़ रुपये से बढ़ कर 469 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा. यह मंसूबा उत्पादन और उपार्जन के लिहाज से भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का संकेतक तो है, लेकिन एक बुनियादी सच्चाई सामने आने से रह जाती है.
बेशक वृद्धि दर हाल के सालों में औसतन सात फीसदी या उससे ज्यादा रही है, लेकिन रोजगार की जरूरत को पूरा करने के लिहाज से यह बढ़वार नाकाफी साबित हो रही है. वैश्वीकरण के शुरुआती दशक में कायम रोजगारविहीन विकास की स्थिति को बदलने में कोई खास प्रगति नहीं हो सकी है और इस मोर्चे पर चिंताएं बदस्तूर कायम हैं. एक आकलन के मुताबिक, देश के कार्यबल में हर माह 10 लाख लोगों की बढ़त होती है, पर अर्थव्यवस्था के प्राथमिक (कृषि) और द्वितीयक क्षेत्र (विनिर्माण) का विकास उस गति से नहीं हो रहा है कि बढ़ती श्रमशक्ति को अपने कौशल के अनुरूप रोजगार तथा अर्थव्यवस्था को वांछित उत्पादकता हासिल हो. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे देश में 2016 में बेरोजगारों की संख्या 17.7 मिलियन थी और समुचित रोजगार नहीं पैदा होने पर 2018 में यह आंकड़ा 18 मिलियन तक पहुंच जायेगा. फरवरी में केंद्रीय श्रम मंत्री ने लोकसभा में कहा था कि कि 2013-14 की तुलना में 2015-16 में बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ है.
वर्ष 2013-14 में संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगारशुदा लोगों की संख्या 48.04 करोड़ थी, जो 2014-15 में घट कर 46.62 करोड़ हो गयी. इस अवधि में देश के 29 में से 14 राज्यों में बेरोजगारी दर बढ़ी है. बेरोजगारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए नयी विनिर्माण नीति बनाने और सितंबर से लागू करने की केंद्र सरकार की पहल सराहनीय कही जायेगी.
देश की जीडीपी में विनिर्माण का हिस्सा कभी भी 19 फीसदी से ज्यादा नहीं रहा, फिलहाल यह 16 फीसदी है. चीन, कोरिया, मलेशिया और ब्राजील जैसे देशों की जीडीपी में विनिर्माण का हिस्सा 31 से 40 फीसदी है. रोजगार के लिहाज से भी इन देशों में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 30 से 36 फीसदी है, जबकि भारत में हद से हद 25 फीसदी. ज्यादातर श्रमशक्ति कृषि में लगी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि नयी विनिर्माण नीति के लागू होने से औद्योगिक उत्पादन और रोजगार की मौजूदा स्थिति में सुधार होगा.

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