झुमरीतलैया में गोवा

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार कोर्ट की बंदिशों के चलते फिर चर्चित शराब विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विजेता निबंध- मरहूम गीतकार-शायर सरदार अंजुम साहब ने जो लिखा और गजल-गायक पंकज उदासजी ने जो गाया- शराब चीज ही ऐसी है, ना छोड़ी जाये- वह दरअसल, एक भारत में राज्य सरकारों की वित्तीय नीति की घोषणा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 18, 2017 6:34 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
कोर्ट की बंदिशों के चलते फिर चर्चित शराब विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विजेता निबंध-
मरहूम गीतकार-शायर सरदार अंजुम साहब ने जो लिखा और गजल-गायक पंकज उदासजी ने जो गाया- शराब चीज ही ऐसी है, ना छोड़ी जाये- वह दरअसल, एक भारत में राज्य सरकारों की वित्तीय नीति की घोषणा थी. शराबी तो डांट-फटकार के बाद एक घड़ी शराब छोड़ भी दे, पर तमाम राज्य सरकारों को जब शराब-जनित आय छूटती दीखती है, तो बिना पीये ही होश फाख्ता और लड़खड़ाने की नौबत दिखायी पड़ती है.
सरकारें चिंतित और प्रतिबद्ध रहती हैं कि शराब के ग्राहकों को बताने को कि भई स्टाक कर ले.
आप देखें, शराब की दुकानें फलां तारीख को बंद रहेंगी, इस आशय के अखबारी इश्तिहार सिर्फ शराब के संबंध में देखे जाते हैं. सरकारें अखबार में इश्तिहार देकर बताती हैं कि दो अक्तूबर को शराब की दुकानें बंद रहेंगी. मतलब प्रिय शराबी तू पहले ही धर ले खरीद कर. पब्लिक तक शराब पहुंच जाये, दुकान बंद होने से पहले पहुंच जाये, ऐसा आग्रह सरकारों में पाया जाता है. अलबत्ता दूध, पौष्टिक फलों पर सरकारें ऐसी चिंताएं दिखाती हुई नहीं पायी जाती हैं.
एक तरफ शराब शराबी को नशा देती है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारों को इनकम भी देती है. नशेबाज नशा छोड़ने को तैयार हो जायें, तो सरकारें इनकम छोड़ने को तैयार ना होतीं. जहां सरकारें इनकम छोड़ने को तैयार हो जायें, वहां नशेबाज घणी प्रतिबद्धता दिखा देते हैं. शराब-मुक्त घोषित गुजरात के ठीक बगल में तकनीकी तौर पर गुजरात राज्य से बाहर दमन-दीव में शराब फुलटू आसानी से मिलती है. गुजरात में तस्करी से आनेवाली शराब का नब्बे प्रतिशत हिस्सा दमन से आता है. गुजरात हाइकोर्ट ने सुझाव दिया कि गुजरात में नशाबंदी को सही तरीके से लागू करने के लिए दमन-दीव को भी गुजरात का हिस्सा बना दिया जाये. प्रतिबद्ध शराबी इसके विरोध में हैं.
कई राज्यों में राजनीतिक दबावों में शराबबंदी हो गयी है, पर रह-रह कर उनकी सरकारों का दिल शराब के लिए हुड़कता है.एक सुझाव यह आया है कि राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़े और शराब की इनकम चलती रहे, सो गुजरात के बीचों-बीच किसी हिस्से को लखनऊ घोषित कर दिया जाये, मतलब वहां बंदा जाकर दारू लगा सकता है, लखनऊ में अलाऊ है. अब मान लो झुमरीतलैया में शराब बैन हो, तो इसे गोवा घोषित कर दिया जाये, गोवा में बंदा दारू लगा सकता है. इस तरह से राष्ट्रीय एकता और सरकारी खजाने दोनों में एक साथ मजबूती आयेगी.

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