गांधीजी को सबने छला

वर्तमान दौर में गांधीजी को लेकर बहस छिड़ी हुई है. हर कोई गांधीजी की पैकेजिंग में लगा है. बहरहाल विवाद तब उत्पन्न हुआ जब खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर में गांधीजी की तसवीर की जगह नरेंद्र मोदी की तसवीर लगायी गयी. क्या मान लिया जाये कि सरकार गांधीजी को किनारे कर रही है? क्या कैलेंडर से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2017 6:09 AM
वर्तमान दौर में गांधीजी को लेकर बहस छिड़ी हुई है. हर कोई गांधीजी की पैकेजिंग में लगा है. बहरहाल विवाद तब उत्पन्न हुआ जब खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर में गांधीजी की तसवीर की जगह नरेंद्र मोदी की तसवीर लगायी गयी. क्या मान लिया जाये कि सरकार गांधीजी को किनारे कर रही है? क्या कैलेंडर से गांधीजी का चेहरा हटाकर ही खादी का प्रचार किया जा सकता है?
अगर खादी का प्रचार करना ही था, तो सरकार खादी के प्रचार-प्रसार के लिए ठोस नीति बनाती. क्या लगता है कि मौजूदा दौर में खादी के कपड़े निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के लोग पहनते होगें? खादी इतना मंहगा है कि यह गरीबों की पहुंच से दूर हो रही है. ऐसी ही कुछ बुनियादी चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. गांधीजी को भुनाने की कोशिश हर एक पार्टियां करती आयी हैं. थोड़ा कम थोड़ा ज्यादा, गांधी को सबने छला है.
चन्द्रशेखर कुमार, खलारी, रांची

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