सुषमा की खरी-खरी

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें अधिवेशन में पिछले हफ्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भड़काऊ और अनर्गल प्रलाप के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जवाब पर पूरी दुनिया की नजर थी. आतंकवाद को मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन और पाकिस्तान को आतंकवाद बोने, उगाने, बेचने तथा निर्यात करनेवाला देश बता कर सुषमा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 28, 2016 5:00 AM
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें अधिवेशन में पिछले हफ्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भड़काऊ और अनर्गल प्रलाप के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जवाब पर पूरी दुनिया की नजर थी. आतंकवाद को मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन और पाकिस्तान को आतंकवाद बोने, उगाने, बेचने तथा निर्यात करनेवाला देश बता कर सुषमा ने इसका करारा जवाब दिया है.
हालांकि, भाषण की शुरुआत में गरीबी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने सहित संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के प्रमुख लक्ष्यों पर अमल की दिशा में भारत द्वारा उठाये गये कदमों का उल्लेख कर सुषमा ने यह संकेत भी दिया कि भारत एक प्रगतिकामी और जिम्मेवार राष्ट्र है. इसमें दो राय नहीं हो सकती कि दुनिया में सतत विकास का कोई भी लक्ष्य आतंकवाद को खत्म किये बिना अधूरा ही रहेगा.
ऐसे में आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट होकर अभियान शुरू करने और इसमें सहयोग न करनेवाले देशों को अलग-थलग करने के सुषमा के आह्वान पर अमल करके ही दुनिया इस अभिशाप से मुक्त हो सकती है. यह अब किसी से छिपा नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी पाकिस्तान में खुलेआम जलसे कर रहे हैं, जहर उगल रहे हैं.
ऐसे में पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई न करना संयुक्त राष्ट्र की विफलता ही कही जायेगी. कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बता कर भारतीय विदेश मंत्री ने जहां पाकिस्तान को जता दिया कि उसके नापाक मंसूबे पूरे नहीं हो सकते, वहीं बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र कर यह संकेत भी दे दिया कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक रुख अपनाने के मूड में नहीं है.
सुरक्षा परिषद् के सात दशक पुराने ढांचे के विस्तार की जरूरत पर जोर देकर उन्होंने स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता की दावेदारी भी मजबूत की है. कुल मिला कर सुषमा ने जहां अपने भाषण में पाकिस्तान को प्रभावी ढंग से बेनकाब किया, वहीं इस मौके का समझदारी से उपयोग करते हुए नवाज शरीफ की तरह इसे केवल पड़ोसी देश के खिलाफ सीमित नहीं रखा. उन्होंने जहां दुनिया को जहां मौजूदा वैश्विक चुनौतियों के प्रति आगाह किया, वहीं सुनहरे कल के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं से अवगत भी कराया.
हालांकि, सुषमा के भाषण को ‘झूठ का पुलिंदा’ बता कर पाकिस्तान ने यह संकेत दे दिया है कि वह केवल बातों से सुधरनेवाला देश नहीं है. उम्मीद करनी चाहिए कि दुनिया में अमन और तरक्की के आकांक्षी संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश उसके इस संकेत पर गौर करेंगे. साथ ही, आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम भारत को सतत जारी रखनी होगी.

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