गरीबों की नहीं करता है कोई फिक्र

बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी जैसी समस्याओं के बीच भ्रष्टाचार का फैलना बहुत ही चिंता का विषय है. देश में यह धीरे-धीरे एक विकराल समस्या बन गयी है. इसके बढ़ते चलन के कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह भारत के विकास को बाधित कर रहा है. यहां के आला अधिकारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 21, 2014 5:46 AM
बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी जैसी समस्याओं के बीच भ्रष्टाचार का फैलना बहुत ही चिंता का विषय है. देश में यह धीरे-धीरे एक विकराल समस्या बन गयी है. इसके बढ़ते चलन के कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह भारत के विकास को बाधित कर रहा है. यहां के आला अधिकारी भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगे हैं.
अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं के भ्रष्टाचारी रवैये से तंग गरीब जनता उनके खिलाफ आवाज उठाने का जब-जब प्रयास करती है, उसकी आवाज को दबा दिया जाता है. जनता की आवाज उनके काले कारनामों के आगे दफन हो जाती है. कभी दवा घोटाला, तो कभी खाद्यान्न घोटाला या फिर टूजी और चारा घोटाला सामने आता है. देश में घोटालों पर घोटाले हो रहे हैं. काला धन विदेशी बैंकों में जमा हो रहे हैं. गरीब पहले से कहीं अधिक गरीब और अमीर पहले से कहीं ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं.
अदालतों में केस लंबे समय तक चलता है और बाद में फिर वही ढाक के तीन पात सामने आता है. पैसे के बल पर बड़े लोग ऊंचे ओहदे पर पहुंच कर अपनी गरीबी दूर कर लेते हैं, लेकिन जो सही मायने में गरीब है, उसकी फिक्र कोई नहीं करता.
देश के राजनेता भ्रष्टाचार दूर करने के नाम पर वोट बटोर कर सत्ता की सीढ़ी चढ़ जाते हैं, लेकिन सत्तासीन होने के बाद वे निचले तबके के उन लोगों की नहीं सोचते, जिनके कंधों पर चढ़ कर उन्होंने यह सफर तय किया है. सत्ता में आते ही वे भी उसी कीचड़ में स्नान करने लगते हैं, जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की थी. आज नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर सत्ता में दाखिल हुए हैं. उन्हें गरीबों के हित में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कदम उठाना चाहिए.
मो सलमान मूसा, डोमचांच

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