बाजार में खोयी आम लोगों की दिवाली

दिवाली ही वह पर्व है, जिसका समय के साथ लगातार विस्तार हो रहा है. पहले धनतेरस से इसका माहौल बनता था, अब तो लगता है झारखंड में दुर्गापूजा के अगले बाद से ही ही दिवाली शुरू हो जाती है. बाजार चीख-चीख कर इसके आने की सूचना देने लगता है. तरह-तरह के ऑफर, तरह-तरह के प्रोडक्ट. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 25, 2014 4:42 AM
दिवाली ही वह पर्व है, जिसका समय के साथ लगातार विस्तार हो रहा है. पहले धनतेरस से इसका माहौल बनता था, अब तो लगता है झारखंड में दुर्गापूजा के अगले बाद से ही ही दिवाली शुरू हो जाती है. बाजार चीख-चीख कर इसके आने की सूचना देने लगता है. तरह-तरह के ऑफर, तरह-तरह के प्रोडक्ट. बचने की कोई संभावना ही नहीं.
ऐसा लगता है कि दिवाली अब सिर्फखरीदारी का पर्व बन कर रह गयी है. खैर, जैसे-तैसे आम से खास तक की इस साल की दिवाली भी मन गयी. लाख दावों और कसमों के बावजूद इस साल भी चीन के पटाखों और बिजली के सजावटी सामानों से झारखंड के बाजार भरे दिखे और लोगों ने जम कर खरीदे भी. बड़े लोगों ने पटाखों और घरों की सजावट पर पानी की तरह इस साल भी बहाया. यह सचमुच विचार का विषय है कि बार-बार प्रचार के बावजूद पटाखों को लेकर लोगों का मोह कम क्यों नहीं होता? हमारे पास ऐसा कोई मजबूत स्रोत नहीं जो बता सके कि पटाखे इस बार कम बिके या ज्यादा. महात्मा गांधी ने कहा था कि पर्व में हमारी सामाजिकता का सर्वोत्तम रूप उजागर होता है.
लेकिन क्या यह बात दिवाली पर लागू होती है? अगर लोगों को समाज की चिंता होती तो वे पटाखे जलाने से पहले एक बार जरूर सोचते. इनकी वजह से दमा, हृदय रोग और दूसरी बीमारियों के मरीजों को कितनी तकलीफ होती है. सच कहें तो दिवाली की चमक-दमक और व्यक्तिवाद, दोनों एक साथ बढ़े हैं. महंगे से महंगे उपहार देने के पीछे दूसरों को सुख देने से ज्यादा अपनी समृद्धि के प्रदर्शन का भाव रहता है. एक ऐसे राज्य में जहां अधिसंख्य आबादी गरीब है, दिवाली का यह विकृत रूप अंदर तक झकझोरता है. दिवाली तो सिर्फ लक्ष्मी पूजा का ही नहीं, सत्य और न्याय की जीत का भी उत्सव है.
यानी दीपावली केवल हमारी सुख की चाहना का नहीं, सत्य और न्याय की आकांक्षा का भी प्रतिनिधित्व करती है. दिवाली तो बीत गयी, लेकिन अपने पीछे यह सवाल जरूर छोड़ गयी कि अमीरी के दिखावे और बाजार की चकाचौंध में कहीं हमारा पर्व हमसे छिनता तो नहीं जा रहा? अब बारी है झारखंड के एक और पवित्र पर्व छठ की. राज्य में दिवाली से शुरू हुआ उत्सवी माहौल छठ तक जारी रहेगा. फिर शुरू जायेगा राज्य में चुनाव का महापर्व.

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