लो जी,अपने बिरादरों के अच्छे दिन आ गये

जब से सुबह का अखबार देखा है. कलेजे पर सांप लोट रहा है. तन बदन में आग लगी हुई है. हर घटना पर गीतों का सहारा लेनेवाले मेरे दिल ने इस सिचुएशन में भी बॉलीवुड का गीत गुनगुनाने का सहारा लिया. आप को याद आया इस सिचुएशन का वो मशहूर गीत. अरे वही भाई, बदन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 23, 2014 4:48 AM

जब से सुबह का अखबार देखा है. कलेजे पर सांप लोट रहा है. तन बदन में आग लगी हुई है. हर घटना पर गीतों का सहारा लेनेवाले मेरे दिल ने इस सिचुएशन में भी बॉलीवुड का गीत गुनगुनाने का सहारा लिया. आप को याद आया इस सिचुएशन का वो मशहूर गीत. अरे वही भाई, बदन में आग लगनेवाला. नहीं न, मुङो भी नहीं आया, उसके विकल्प भी तो है, बदन में जहर फैलनेवाला गीत ही गाने लगा. ..सारे बदन में जहर फंस गया, बिच्छू लड़ गया, बिच्छू लड़ गया..

लेकिन तन बदन के अलावा मन में लगी आग की आंच तनिक भी न घटी. ये तो भला हो अपनी फिल्म इंडस्ट्रीवालों का. महान गीत रचयिताओं ने सबके लिए लिरिक्स गढ़ रखा है. वरना हम जैसे लोग तो मन की अगन में ही जल भुन कर खाक हो जाते. खैर ! फिल्मी गीतों की बात फिर कभी, असली मुद्दे पर आते हैं. अखबार के पहले पेज पर छपी खबर के अनुसार 6000 करोड़ रुपये की डायमंड कंपनी हरिकृष्णा एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन सावजी ढोलकिया ने अपने कर्मचारियों को कहा है कि वे कार, फ्लैट या ज्वेलरी में से जो चाहे, चुन लें. कंपनी को यह बोनस अपने लॉयल्टी प्रोग्राम के तहत दिया है.

करीब 500 कर्मचारियों ने कार को चुना. 570 ने पत्नीभक्तों ने ज्वेलरी ली और 207 लोगों ने फ्लैट लिया. श्री श्री 1008 श्री ढोलकिया जी (जी चाहता है कि इससे भी बड़ी सम्मानित उपाधि दूं) ने कहा कि मेरे सारे सपने मेरे कर्मचारियों के जरिये ही सच हुए हैं. उनकी कंपनी ने अपने सभी 1,200 कर्मचारियों में से हरेक को लगभग 3.60 लाख रु पये का परफॉरमेंस इनसेंटिव दिया है. यह पहला मौका नहीं है, इसी कंपनी के जिग्नेश मकवाना ने बताया कि पिछले साल उनको गिफ्ट में कार मिली थी इसलिए इस बार भी जब मैं इंसेंटिव स्कीम के लिए क्वॉलिफाइ कर गया, तो मैंने फ्लैट का ऑप्शन चुना. ढोलकिया जी की कंपनी सिर्फ दो दशक में इन्हीं कर्मचारियों की मदद से 6000 करोड़ टर्नओवर कर रही है.

ये मानते हैं कि इनके कारीगर इंडस्ट्री की रीढ़ हैं और उन्हें इंडस्ट्री में सबसे अच्छी सैलरी देकर हमने मिसाल कायम की है. अब समझ में आया, मेरे बॉलीवुडीन गीतों के गुनगुनाने का राज. अपनी बिरादरी के चंद लोगों के अच्छे दिन देख कर कलेजे पर सांप लोटना तो बनता ही है न. सबसे दुखद बात तो तब हुई जब पत्नी की निगाह भी इस खबर पर पड़ी. जब उसने पूछा कि हमें इस बार दीपावली में कंपनी की ओर से क्या मिलनेवाला है. तो जवाब देने के पहले अनायास ही हमें कॉमेडी नाइट्स विद कपिल की याद आ गयी. काफी बकझक के बाद पत्नी तो मुंह बिचकाते, अपनी किस्मत को कोसते हुए किचेन की ओर रुखसत हुई, लेकिन अपने मन की व्यथा तो जाते-जाते ही जायेगी. कल्पना करने के लिए ही सही..काश! परम आदरणीय ढोलकिया जी की तरह सभी मालिकान हो जायें तो हम जैसे लोगों के भी अच्छे दिन आ जायें.

लोकनाथ तिवारी

प्रभात खबर, रांची

lokenathtiwary@gmail.com

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