जीवन से प्यार का संकल्प

कविता विकास लेखिका kavitavikas28@gmail.com अब हम नये साल में हैं. घर की सुख-शांति बनाये रखने का और नौकरी के उच्चतम शिखर तक पहुंचने का संकल्प तो हम हर साल लेते हैं. चलिए, उनसे इतर इस बार कुछ ऐसा संकल्प लें, जिसमें प्रकृति और पर्यावरण का हित हो तथा परोपकार की भावना निहित हो. अपने घर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 3, 2020 6:39 AM

कविता विकास

लेखिका

kavitavikas28@gmail.com

अब हम नये साल में हैं. घर की सुख-शांति बनाये रखने का और नौकरी के उच्चतम शिखर तक पहुंचने का संकल्प तो हम हर साल लेते हैं. चलिए, उनसे इतर इस बार कुछ ऐसा संकल्प लें, जिसमें प्रकृति और पर्यावरण का हित हो तथा परोपकार की भावना निहित हो.

अपने घर की आया के बच्चे को एक घंटा निःशुल्क पढ़ा दें, तो प्रतिफल लौटकर अवश्य आयेगा. अपने घर के वीरान कोने में अपने हाथों से पौधा-रोपण करें. पौधे जब फूलेंगे-फलेंगे, यकीनन वैसी ही प्रसन्नता होगी, जैसी अपने बच्चों को बढ़ते देख कर होती है. अपने जीवन काल में पेड़ लगाने का संकल्प बहुत नेक है. इससे पर्यावरण की रक्षा होगी और आनेवाली पीढ़ियों को एक हरे-भरे ग्रह की सौगात मिलेगा.

खुश रहने का भी संकल्प लें. हर दिन एक उत्सव की भांति हो. जब भैतिक सुख-सुविधाओं का जुनून नहीं पनपा था, तब घर में फ्रिज या टीवी आने पर भी मोहल्ले वाले उसे देखने आते थे. छोटी-छोटी खुशियां जीवन में रंग भरतीं थीं. आज हम बड़ी खुशियों का इंतजार करते हैं, जो मृगतृष्णा के अलावा और कुछ नहीं. बड़ी खुशियों के इंतजार में जीवन की शाम हो जाती है, फिर इनका उपभोग करने के अवसर क्षीण पड़ जाते हैं.

एक दिन मैंने आठ-नौ साल के एक बच्चे से कहा कि पिछले साल वाली गलतियां नये साल में नहीं दोहराना, प्रण करो. बच्चे ने मासूमियत से कहा- जी मैम, इस बार नयी गलतियां करूंगा. बच्चे ने एक शाश्वत सच को याद दिला दिया. गलतियां करना तो स्वाभाविक है, पर बार-बार एक ही गलती न हो, इसका हमें जरूर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इसका सीधा संबंध हमारे स्वभाव और जीवनशैली से जुड़ा है, जो हमें विषाद की स्थिति में ला सकता है.

जरा याद कीजिए, अंतिम बार कब आपने बालकोनी से ढलते सूरज का नजारा आंखों में कैद किया था? कब बच्चे का निकर बदलते समय उसके पैरों को गाल से टिका कर रोमांचित हुए थे? गली में खेलते बच्चों की फौज ने आपके आंगन में आयी गेंद मांगा और आपने प्यार से झिड़कते हुए एक बॉलर की तरह उनकी ओर गेंद फेंका, कब?

दौड़-भाग और तनाव भरी जिंदगी में हंसने के लिए वक्त नहीं अब. तो, इस साल पत्नी-बच्चों के साथ सुंदर स्थानों पर जाएं. अपने सच्चे मित्रों के साथ कुछ वक्त गुजारें, जो एक-दूजे के हमराज थे और बीती बातों को याद करके खूब ठहाके लगायें. हर वह काम करें, जिसको करने में आपने खूब आनंद उठाया था. बारिश में नहाना, गुलेल से टिकोले तोड़ना, ठेले पर गोलगप्पे खाना आदि. आप ठान लें, तो खुश रहने के अनेक रास्ते खुद निकल आयेंगे.

आइए, हम भी नये साल में एक ऐसा संकल्प लें, जो अब तक नहीं लिये हों. संकल्प यह हो कि जीवन की अवस्था चाहे जैसी भी हो, हम खुश रहने का प्रयत्न करेंगे. जीवन को एक उत्सव मान कर एक-एक पल को जियेंगे. खुशियों का सैलाब अपनी चपेट में हमारे दुखों को बहा ले जाये और हम नित नयी ऊर्जा से भरे रहें. सभी को नये साल की शुभकामनाएं!

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