सराहनीय कृषि सुधार

किसानों की समस्याओं के समाधान और कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के लिए सरकार ने किसान उत्पादकों के दस हजार संगठन बनाने का निर्णय लिया है. ये संगठन सुनिश्चित करेंगे कि उपज का समुचित मूल्य किसान को मिले. बाजार में जिस दाम पर कृषि उत्पादों को उपभोक्ता खरीदता है, उसका आंशिक हिस्सा ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 14, 2019 7:22 AM
किसानों की समस्याओं के समाधान और कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के लिए सरकार ने किसान उत्पादकों के दस हजार संगठन बनाने का निर्णय लिया है.
ये संगठन सुनिश्चित करेंगे कि उपज का समुचित मूल्य किसान को मिले. बाजार में जिस दाम पर कृषि उत्पादों को उपभोक्ता खरीदता है, उसका आंशिक हिस्सा ही किसान के पास पहुंच पाता है. कई बार तो यह भी होता है कि उसकी आमदनी लागत की ही भरपाई नहीं कर पाती है. सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी चुकौती ठीक से नहीं की जाती है.
इसके अलावा एक गंभीर मसला भुगतान में देरी का भी है. ऐसे में उपज को खेत से मंडी तक पहुंचाने की मौजूदा व्यवस्था में सुधार जरूरी है. उत्पादक संगठनों की स्थापना की घोषणा करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सरकारों से कृषि उपज बाजार समितियों को भंग करने का अनुरोध भी किया है. समितियों की जगह राष्ट्रीय कृषि बाजार (इनैम) को अपनाने की सलाह दी है, जो एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है.
समितियों के माध्यम से किसान की पहुंच सीधे तौर पर स्थानीय मंडी तक ही सीमित होती है, लेकिन इस इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय बाजार की व्यापकता उपलब्ध हो सकती है. संचार तकनीक के विस्तार के साथ किसान डिजिटल माध्यम से विभिन्न सूचनाएं और सुविधाएं पहले से ही हासिल कर रहे हैं, सो इस इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को अपनाना बहुत आसान है. इससे समितियों और मंडियों की पारदर्शिता और कार्यक्षमता से जुड़ी शिकायतों को भी दूर किया जा सकेगा.
पहले की परिस्थितियों के अनुसार समितियों की आवश्यकता थी और उन अपेक्षाओं को बहुत हद तक पूरा भी किया गया है, परंतु बदलते समय की मांग के हिसाब से जरूरी बदलावों पर भी जोर दिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी को बढ़ाने और उन्हें मुश्किलों से उबारने के लिए अनेक कदम उठाये हैं, जैसे- समर्थन मूल्य में वृद्धि, फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि आदि प्रमुख हैं.
साथ ही, खेती योग्य भूमि की उर्वरा शक्ति का नियमित परीक्षण तथा उचित बीज और खाद की जानकारी देने जैसे प्रयास भी जारी हैं. कौन-सी फसल आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद हो सकती है और किस फसल की सिंचाई बारिश के पानी से की जा सकती है, ऐसी जानकारियां भी मुहैया करायी जा रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर और खाद्य-प्रसंस्करण की व्यवस्था विकसित करने के लिए सरकार व्यापक निवेश की योजना पर भी काम कर रही है.
ऐसे में अगर किसान को अपनी उपज बेचने के लिए राष्ट्रीय बाजार मिलता है, तो उसे न केवल सही कीमत मिल सकती है, बल्कि उसे भुगतान के लिए इंतजार भी नहीं करना होगा. किसान के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होती है कि उसकी उपज बिके और वह कमाई के एक हिस्से को अगली फसल लगाने में निवेशित कर सके. उम्मीद है कि वित्त मंत्री की सलाह पर जल्दी अमल का सिलसिला शुरू होगा.

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