कमजोर होती बैंकिंग व्यवस्था
पी एंड एम सहकारिता बैंक की घटना के बाद, देश भर के खाताधारक डरे सहमे हुए हैं. खासकर कर जब उस बैंक के खाताधारक अपना दुखड़ा लेकर वित्त मंत्री से मिले. बिना कोई ठोस आश्वासन के उन्हें वापस भेज दिया गया. जो आज पीएमसी के ग्राहकों के साथ हुआ है, कल दूसरे बैंक के ग्राहकों […]
पी एंड एम सहकारिता बैंक की घटना के बाद, देश भर के खाताधारक डरे सहमे हुए हैं. खासकर कर जब उस बैंक के खाताधारक अपना दुखड़ा लेकर वित्त मंत्री से मिले. बिना कोई ठोस आश्वासन के उन्हें वापस भेज दिया गया. जो आज पीएमसी के ग्राहकों के साथ हुआ है, कल दूसरे बैंक के ग्राहकों के साथ होगा. आरबीआइ भी लोगों की जमा राशि का कोई गारंटी नहीं लेता, जबकि उसके देख-रेख में ही बैंक काम करते हैं.
उनका सालाना ऑडिट होता है. फिर भी जमाकर्ता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जिस तरह से साल दर साल बैंकों का एनपीए बढ़ता जा रहा है, कर्ज लेने वाले चुकाने से कतरा रहे हैं, सस्ता कर्ज देने के लिए रेपो दर में कटौती हो रही है, बैंक भी जमा पूंजी पर ब्याज दर घटा रहा है, लोग म्यूचुअल फंड में पैसा डाल रहे हैं, इस तरह तो बैंक में पैसा जमा ही नहीं होगा, तो वे लोन कहां से दे पाएंगे. ऐसे में देश की बैंकिंग व्यवस्था चरमराती हुई नजर आ रही है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर