करारी हार पर आत्ममंथन

17वीं संसद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है. अब समय आ गया है कि पार्टी को खुद में व्यापक बदलाव करने के लिए कमर कसनी ही होगी और यह बदलाव आत्ममंथन से ही संभव होगा, न कि दरबारी संस्कृति का परिचय देने से. जरूरी यह नहीं कि गांधी परिवार इस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 27, 2019 2:04 AM

17वीं संसद के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है. अब समय आ गया है कि पार्टी को खुद में व्यापक बदलाव करने के लिए कमर कसनी ही होगी और यह बदलाव आत्ममंथन से ही संभव होगा, न कि दरबारी संस्कृति का परिचय देने से. जरूरी यह नहीं कि गांधी परिवार इस संस्कृति में रचे-बसे लोगों को किनारे कर पार्टी को ईमानदारी से आत्ममंथन करने का मौका दे, बल्कि उससे जो हासिल हो, उसे स्वीकार भी करे.

इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस का काम नहीं चल पाता, लेकिन सच यह भी है कि परिवार के प्रभुत्व के चलते जनाधार वाले सक्षम नेता एक दायरे से ऊपर नहीं उठ पाते. कई बार तो उन्हें जानबूझ कर उठने ही नहीं दिया जाता. गांधी परिवार को यह समझना होगा कि मजबूत विपक्ष के साथ ही उसका सकारात्मक होना आवश्यक है.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह, भागलपुर

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